क्या राज ठाकरे की राजनीति अब एक पेंडुलम की तरह हो गई है?

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क्या राज ठाकरे की राजनीति अब एक पेंडुलम की तरह हो गई है?

सारांश

तहसीन पूनावाला ने राज ठाकरे की राजनीति पर तीखा हमला किया है, इसे एक पेंडुलम की तरह बताया है। क्या उनकी राजनीतिक यात्रा अब खत्म हो चुकी है? जानिए इस महत्वपूर्ण विश्लेषण में।

Key Takeaways

  • राज ठाकरे की राजनीतिक यात्रा में निरंतरता की कमी है।
  • उनकी पार्टी ने हाल के चुनावों में एक भी सीट नहीं जीती।
  • राज ठाकरे का राजनीतिक महत्व अब समाप्त हो चुका है।
  • उनकी राजनीति में कोई स्थायी विचारधारा नहीं बची है।
  • बिहार के चुनावों में उनकी भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं।

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजनीतिक विश्लेषक और सलाहकार तहसीन पूनावाला ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि उनकी राजनीति अब एक 'पेंडुलम' की भांति हो गई है, जो बार-बार एक छोर से दूसरे छोर तक झूलता रहता है, लेकिन किसी निश्चित दिशा में नहीं रुकता है।

पूनावाला ने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में बताया कि 2014 में राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का समर्थन किया था। इसके बाद 2019 में उन्होंने विपक्षी नेताओं और कांग्रेस का साथ दिया। अब 2024 में, वह फिर से मोदी और भाजपा के पक्ष में खड़े हैं। यह उनकी राजनीतिक यात्रा का पेंडुलम है, जो निरंतर झूलता रहता है।

उन्होंने यह भी कहा कि मनसे प्रमुख की राजनीतिक स्थिति अब पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है। जब राज्य में लोकसभा चुनाव के बीच विधानसभा चुनाव हुए, तब उनकी पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीती। यहां तक कि उनका पुत्र भी अपनी सीट हार चुका है। अब राज ठाकरे का राजनीतिक महत्व लगभग समाप्त हो चुका है।

पूनावाला ने कहा कि यह वही राज ठाकरे हैं जिन्होंने बिहार के प्रवासी श्रमिकों को धमकाया और उनके खिलाफ हिंसा भड़काई थी। उन्होंने कोविड काल में कहा था कि मुसलमानों को गोली मार देनी चाहिए और मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का प्रस्ताव रखा था। ऐसे व्यक्ति का राजनीतिक या नैतिक औचित्य अब शेष नहीं रह गया है।

बिहार विधानसभा चुनावों के संदर्भ में पूनावाला ने सवाल किया, "क्या बिहार के लोग चाहेंगे कि इंडिया महागठबंधन में राज ठाकरे जैसी पार्टी शामिल हो?" उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, "राज ठाकरे की पार्टी वह इंजन है, जिसे चलाने के लिए पीछे से धक्का लगाना पड़ता है।"

तहसीन पूनावाला ने कहा कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे, दोनों भाइयों का अब महाराष्ट्र की राजनीति में कोई मजबूत प्रभाव नहीं रह गया है। दोनों सत्ता के लिए अलग हुए थे और अब फिर से एक होने की कोशिश कर रहे हैं। न तो इनके पास कोई विचारधारा बची है और न ही जनाधार। उनकी राजनीति अब केवल सत्ता पाने की होड़ बनकर रह गई है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि राज ठाकरे की राजनीतिक स्थिति अब कमजोर हो चुकी है। उनका बार-बार समर्थन बदलना और जनाधार का अभाव दर्शाता है कि उनकी भूमिका अब सीमित हो गई है।
NationPress
31/10/2025

Frequently Asked Questions

राज ठाकरे की राजनीति में क्या बदलाव आया है?
राज ठाकरे ने समय-समय पर अपने राजनीतिक समर्थन को बदलते हुए देखा है, जो उनकी राजनीतिक स्थिति को कमजोर करता है।
तहसीन पूनावाला ने राज ठाकरे के बारे में क्या कहा?
तहसीन पूनावाला ने कहा कि राज ठाकरे की राजनीति अब एक पेंडुलम की तरह हो गई है, जो किसी ठोस दिशा में नहीं बढ़ रही।