क्या राजस्थान में एनएच-23 करौली बाइपास सर्वे को लेकर ग्रामीणों का विरोध बढ़ रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- ग्रामीणों का विरोध तेज हो रहा है।
- सर्वे में कई अनियमितताएं पाई गई हैं।
- प्रभावित लोग गरीब और निम्न आय वर्ग के हैं।
- उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
- प्रशासन को जनहित में निर्णय लेना चाहिए।
करौली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के करौली में एनएच-23 बाइपास के प्रस्तावित एलाइनमेंट को लेकर ग्रामीणों का विरोध तेजी से बढ़ता जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह प्रस्तावित मार्ग गोपालपुर से मण्डरायल रोड की ओर बढ़ते हुए दुर्गशी घटा, सहारियान का पुरा, गौतम बुद्ध नगर, आदित्य नगर, माता वैष्णो नगर, श्याम नगर, लक्ष्मण बिहार, कृष्णा कॉलोनी और अन्य घनी बस्ती वाले क्षेत्रों से होते हुए दीपपुरा गांव तक जाएगा।
इससे लगभग 200 से अधिक पक्के मकान ध्वस्त होने और हजारों भूखंडों के नष्ट होने की संभावना है। प्रभावित परिवारों में अधिकतर गरीब, किसान और निम्न आय वर्ग के लोग शामिल हैं, जिन्होंने गांव की जमीन बेचकर अपने बच्चों की शिक्षा और बेहतर जीवन के लिए करौली शहर में मकान बनाए थे।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद किए गए सर्वे में कई अनियमितताएं पाई गई हैं। उनका कहना है कि प्रस्तावित मार्ग से लगभग 100 मीटर की दूरी पर पर्याप्त सरकारी खाली भूमि उपलब्ध है, लेकिन इसके बावजूद जानबूझकर घनी आबादी वाले क्षेत्र से बाइपास निकाला जा रहा है। इससे लोगों को न केवल अपने घरों से बेघर होना पड़ेगा, बल्कि उन्हें भारी मानसिक और आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
पूर्व मंत्री रमेश मीणा के नेतृत्व में प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर सर्वे में तुरंत परिवर्तन की मांग की। रमेश मीणा ने कहा कि इस मामले में प्रशासन को कई बार लिखित और मौखिक रूप से अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि सर्वे में बदलाव कर एलाइनमेंट नहीं बदला गया, तो वे मजबूरन उग्र आंदोलन, धरना-प्रदर्शन और हाईवे जाम जैसे कदम उठाएंगे।
ग्रामीणों ने प्रशासन से अंतिम बार अपील की है कि जनहित को ध्यान में रखते हुए सर्वे में संशोधन किया जाए ताकि संभावित जनहानि और बड़े आंदोलन से बचा जा सके। उनका कहना है कि सरकार और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और प्रभावित लोगों की सुरक्षा और जीवन-मूल्य को ध्यान में रखकर निर्णय लें।