राजद नेता सुधाकर सिंह ने भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर से पूछा, क्या नाम बताएंगे किसने पी थी ई-सिगरेट?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार कांग्रेस को जल्द से जल्द अपना नेता चुनना चाहिए।
- राजद ने भाजपा सांसद से ई-सिगरेट पीने वाले का नाम जानने की मांग की।
- चुनाव सुधार पर अमित शाह के बयान का राजद ने विरोध किया।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में नई सरकार का गठन होने के बाद से बिहार कांग्रेस ने अभी तक अपने विधायक दल का नेता नहीं चुना है। इस संदर्भ में राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। इस पर राजद नेता सुधाकर सिंह ने कहा कि कांग्रेस को जल्दी से जल्दी अपना नेता चुन लेना चाहिए।
राजद नेता सुधाकर सिंह ने नई दिल्ली में राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है, लेकिन बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी नहीं है। राजद बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी है, जिसने पहले ही अपना विधायक दल का नेता चुन लिया है। भले ही कांग्रेस के विधायकों की संख्या कम हो, फिर भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत उसे अपना नेता चुनना चाहिए।
जब भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने टीएमसी सांसद के ई-सिगरेट पीने का मुद्दा उठाया, तो राजद नेता ने कहा कि संसद के भीतर सांसदों से मर्यादा की अपेक्षा की जाती है। कोई भी सांसद सदन के अंदर हथियार या गैर-कानूनी चीज नहीं ले जा सकता। अनुराग ठाकुर को यह बताना चाहिए कि किसने ऐसा किया। सभी सांसदों ने ऐसा नहीं किया होगा, शायद दो व्यक्तियों ने किया हो। उन्हें स्पीकर महोदय के पास उचित शिकायत दर्ज करानी चाहिए। यह स्पीकर का दफ्तर ही इस मामले में उचित मंच है।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पश्चिम बंगाल के चुनावी माहौल के बीच मीडिया हेडलाइन मैनेज करने के लिए यह बेतुका बयान दिया जा रहा है। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर ही कार्रवाई होनी चाहिए।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर राजद नेता ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों में विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। ममता बनर्जी का बयान वाकई में चिंता का विषय है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के संसद में चुनाव सुधार को लेकर दिए बयान पर राजद नेता ने कहा कि उनकी पार्टी जिस तरीके से चुनाव जीतती आई है, उस रास्ते में बदलाव क्यों चाहेगी? विपक्ष के किसी सुझाव को वह क्यों मानेगी? इलेक्टोरल बॉन्ड चुनावी अभियान का सबसे काला अध्याय है। चुनाव आयोग को आचार संहिता चुनाव से छह महीने पहले लागू करनी चाहिए। बिहार में हमने देखा कि वोटिंग से कुछ दिन पहले महिलाओं के खातों में पैसे डाले जा रहे हैं। यह एक तरह से रिश्वत ही है। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का पुराना नियम बहाल किया जाए। देश में वर्तमान में चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष नहीं है। हम चुनाव सुधार के लिए लगातार लड़ते रहेंगे।