क्या राज्यसभा ने 1971 की ऐतिहासिक विजय को नमन किया?

Click to start listening
क्या राज्यसभा ने 1971 की ऐतिहासिक विजय को नमन किया?

सारांश

राज्यसभा ने 1971 की ऐतिहासिक विजय की 54वीं वर्षगांठ पर वीरता और बलिदान को याद किया। जानिए इस सुनहरे दिन की विशेषताएँ और भारतीय सेना की अद्भुत उपलब्धियों के बारे में।

Key Takeaways

  • 1971 की विजय ने बांग्लादेश के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय को सुनिश्चित किया।
  • 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया।
  • भारतीय सेना, वायु सेना, और नौसेना ने अद्भुत तालमेल दिखाया।
  • यह विजय भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक है।
  • भारतीय सशस्त्र बलों का साहस और कर्तव्य आज भी प्रेरणा देता है।

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस) वर्ष 1971 में पाकिस्तान पर प्राप्त की गई ऐतिहासिक विजय को राज्यसभा में श्रद्धांजलि दी गई। राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने विजय दिवस की 54वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश की गौरवमयी सैन्य विजय को स्मरण किया।

मंगलवार को सदन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सशस्त्र बलों के शौर्य, दृढ़ संकल्प और अटूट साहस ने भारत को पाकिस्तान के खिलाफ एक ऐतिहासिक विजय दिलाई।

इसी विजय के परिणामस्वरूप बांग्लादेश का एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय हुआ। गौरतलब है कि 1971 के इस युद्ध में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। यह एक ऐसी जीत थी जिसने भारत के सैन्य इतिहास को बदल दिया।

इस जीत ने दक्षिण एशिया का नया नक्शा भी बनाया और एक नए राष्ट्र यानी ‘बांग्लादेश’ को जन्म दिया। सभापति ने कहा कि यह निर्णायक जीत न केवल क्षेत्र के भू-राजनीतिक परिदृश्य को बदलने वाली साबित हुई, बल्कि इसने न्याय, मानव गरिमा और स्वतंत्रता के प्रति भारत की अडिग प्रतिबद्धता को भी मजबूत किया।

उन्होंने बताया कि 13 दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना ने अद्भुत तालमेल, तीव्र रणनीति और निर्भीक क्रियान्वयन का परिचय देते हुए अपनी सैन्य श्रेष्ठता सिद्ध की। दरअसल, 1971 के युद्ध ने पाकिस्तान सेना द्वारा एक पूरे समुदाय पर चल रहे अत्याचार, उत्पीड़न और क्रूरता को भी समाप्त कर दिया था।

राज्यसभा के सभापति ने भारतीय सशस्त्र बलों के उस अद्वितीय साहस, कर्तव्यनिष्ठा और बेजोड़ पेशेवर दक्षता की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारे जवानों की वीरता और बलिदान देश के करोड़ों नागरिकों, विशेषकर युवा पीढ़ी को सदैव ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना से प्रेरित करते रहेंगे।

इस पावन अवसर पर सभापति और सदन के सभी सदस्यों ने देशवासियों के साथ मिलकर उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया। सदन में उन्होंने यह कामना की कि शहीदों का साहस और पराक्रम की विरासत आज भी हमें भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए सामूहिक संकल्प के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहे।

Point of View

NationPress
16/12/2025

Frequently Asked Questions

राज्यसभा ने विजय दिवस क्यों मनाया?
राज्यसभा ने 1971 की ऐतिहासिक विजय की 54वीं वर्षगांठ पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए विजय दिवस मनाया।
1971 की विजय का महत्व क्या है?
1971 की विजय ने न केवल पाकिस्तान को हराया बल्कि बांग्लादेश के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय का मार्ग प्रशस्त किया।
इस विजय में कितने पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया?
इस युद्ध में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया।
राज्यसभा के सभापति ने क्या कहा?
सभापति सीपी राधाकृष्णन ने भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और बलिदान की सराहना की।
इस विजय ने भू-राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव डाला?
इस विजय ने दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया और न्याय और स्वतंत्रता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत किया।
Nation Press