क्या राज्यों में एसएंडटी काउंसिल को मजबूत करना आत्मनिर्भर 'विकसित भारत' की कुंजी है?

सारांश
Key Takeaways
- राज्यों में एसएंडटी काउंसिल को मजबूत करना आवश्यक है।
- रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
- वित्तीय संसाधनों और संस्थागत अधिसंरचना को सुधारने की आवश्यकता है।
- यह रिपोर्ट भारत के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मददगार हो सकती है।
- तकनीकी आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने के लिए उपाय सुझाए गए हैं।
नई दिल्ली, १० जुलाई (राष्ट्र प्रेस) । नीति आयोग ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में कहा कि राज्यों में साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एसएंडटी) काउंसिल को मजबूत करना एक आत्मनिर्भर विकसित भारत के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक है।
स्टेट एसएंडटी काउंसिल विशेष रूप से कृषि, रिन्यूएबल एनर्जी, आपदा प्रबंधन और क्षेत्रीय स्तर पर स्थानीय उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में वैज्ञानिक नवाचार और सामाजिक-आर्थिक विकास के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
इन काउंसिल ने पेटेंट सुविधा, रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन और जीआई मैपिंग, जमीनी स्तर पर नवाचार और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को समर्थन देने में भी योगदान दिया है।
नीति आयोग द्वारा आयोजित व्यापक परामर्श, राष्ट्रीय कार्यशाला और बहु-हितधारक सहभागिता पर आधारित "रोडमैप फॉर स्ट्रेथनिंग स्टेट एसएंडटी काउंसिल" शीर्षक वाली यह रिपोर्ट संरचनात्मक गैप और अवसरों को दर्शाती है।
रिपोर्ट में मंत्रालयों, राज्य सरकारों, वित्त पोषण निकायों, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों और उद्योग भागीदारों के बीच मजबूत समन्वय का भी आह्वान किया गया है।
नीति आयोग के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सदस्यों, जिनमें डॉ. वी. के. सारस्वत भी शामिल हैं, द्वारा लिखित इस रिपोर्ट में कहा गया है, "एकीकृत दृष्टिकोण भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक उद्देश्यों, जैसे एक मजबूत और आत्मनिर्भर विकसित भारत को प्राप्त करने में एक आधारभूत भूमिका निभाएगा, जहां साइंस और नवाचार सामाजिक प्रगति, आर्थिक समृद्धि और राष्ट्रीय शक्ति के केंद्र में हों।"
यह रिपोर्ट राज्यों की एसएंडटी काउंसिल के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों की पहचान करने का प्रयास करती है और विभिन्न पहलों से एक दूरदर्शी इकोसिस्टम की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को रेखांकित करती है।
रिपोर्ट में जिन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान दिया गया है, उनमें अपर्याप्त वित्तीय संसाधन और विविधीकरण, राज्य-विशिष्ट एसएंडटी आवश्यकताओं के मानचित्र का अभाव, कमजोर संस्थागत अधिसंरचना, उद्योग और शिक्षा जगत के साथ सीमित सहयोग, खंडित आरएंडडी समर्थन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) डेटा का कम उपयोग, वैज्ञानिक प्रतिभा की अपर्याप्त पहचान, केंद्रीय एजेंसियों और अन्य संस्थानों के साथ कमजोर अंतर्संबंध शामिल हैं।
इस प्रकार यह रिपोर्ट न केवल सुधारों का एक समूह है, बल्कि एक महत्वपूर्ण अवसर भी है जो वैश्विक अनुसंधान, विकास और नवाचार परिदृश्य में भारत के भविष्य को आकार देने में मदद कर सकता है। यह एक सामूहिक दृष्टिकोण के माध्यम से भारत को साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में भी मदद कर सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "अगर इसे अच्छी तरह से लागू किया जाए तो इस रोडमैप में स्टेट एसएंडटी काउंसिल को उच्च-प्रभावी, नवाचार-प्रेरित विकास इंजन में बदलने की क्षमता है। यह न केवल उनकी प्रशासनिक और तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि उभरते उद्योगों, तकनीकी आत्मनिर्भरता और राज्य के ज्ञान-आधारित आर्थिक विकास के लिए एक बेहतर आधार भी तैयार करेगा।"