क्या राकेश टिकैत ने महाराष्ट्र में भाषा विवाद और बिहार में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए?

सारांश
Key Takeaways
- भाषा विवाद एक पुराना मुद्दा है, जिसे फिर से उछाला गया।
- सरकार की शिक्षा नीति पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
- गरीब बच्चों की शिक्षा को खतरे में डालने का आरोप।
- नॉन-वेज विवाद का संबंध धार्मिक नफरत से है।
- बिहार में कानून-व्यवस्था पर स्थिति गंभीर है।
प्रयागराज, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। किसान नेता राकेश टिकैत प्रयागराज पहुंचे और यहां उन्होंने महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद और बिहार में कानून-व्यवस्था को लेकर सत्तारूढ़ दलों पर तीखा हमला किया। उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह भाषा विवाद एक प्राचीन मुद्दा है, जिसे हाल ही में फिर से उठाया गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी मराठी, तमिल या कन्नड़ जैसी मातृभाषाओं का विरोध नहीं करता। हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा बोलने का अधिकार है, और इस तरह के विवाद से गलत संदेश फैलता है।
उन्होंने सरकार की शिक्षा नीति की आलोचना करते हुए स्कूलों के मर्जिंग के फैसले को गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं और इन्हें बंद करना या मर्ज करना शिक्षा से वंचित करने जैसा है।
टिकैत ने सवाल उठाया कि क्या सरकार गरीब बच्चों को अनपढ़ बनाकर मजदूरी के लिए मजबूर करना चाहती है। उन्होंने बताया कि निजी स्कूलों में पढ़ाई करने की क्षमता केवल धनाढ्य वर्ग के पास है, जबकि गरीब परिवारों के बच्चे सरकारी स्कूलों पर निर्भर हैं।
कांवड़ यात्रा के दौरान नॉन-वेज खाने को लेकर चल रहे विवाद पर टिकैत ने कहा कि यह मुद्दा असल में मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत से जुड़ा है। यदि नॉन-वेज का विरोध है, तो मंदिरों के पुजारियों और सनातनी समाज को इसके खिलाफ अभियान चलाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जनता अब इस सचाई को समझ चुकी है। उन्होंने सरकार से मांग की कि होटलों में खाने की जांच के लिए स्पष्ट नीति बनाई जाए, ताकि पता चले कि विवाद भोजन से है या जाति और धर्म से।
बिहार में कानून-व्यवस्था पर टिकैत ने कहा कि वहां स्थिति गंभीर है और विपक्ष को इस मुद्दे पर सरकार को घेरना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे राज्य सरकार पर दबाव बनाएं।