क्या झारखंड की अनुष्का को मिला 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार'?
सारांश
Key Takeaways
- अनुष्का की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई।
- भूटान में सैफ चैंपियनशिप में उनका प्रदर्शन अविस्मरणीय रहा।
- महिलाओं के खेलों में समर्थन और प्रेरणा की आवश्यकता है।
- अनुष्का की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।
- हर युवा को अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना चाहिए।
रांची, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जिन 20 बच्चों को 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया, उनमें रांची के ओरमांझी प्रखंड की 14 वर्षीया अनुष्का का नाम भी शामिल है।
यह वही प्रतिभाशाली लड़की है, जिसने भूटान में आयोजित सैफ अंडर-17 महिला फुटबॉल चैंपियनशिप में छह मैचों में आठ गोल दागकर अपनी काबिलियत साबित की थी। अनुष्का का संघर्ष बेमिसाल है, जो सैफ गेम्स से लेकर राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में लगातार शानदार प्रदर्शन कर रही हैं।
अनुष्का, जो मिट्टी के घर में रहती हैं, के पिता दिलेश मुंडा गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और काम करने में असमर्थ हैं। परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी उनकी मां पर है, जो खेती और सब्जी बेचकर घर चलाती हैं।
अनुष्का ने बहुत कम उम्र में ही कठिनाइयों को समझ लिया। जब अन्य बच्चे खेलते थे, तब वह फुटबॉल खेलती थीं। महज 11 साल
घर से दूर जाना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन मां ने उनके सपने पर विश्वास किया। वहां उनकी दिनचर्या सुबह चार बजे से शुरू होती थी, जिसमें घंटों का अभ्यास, पढ़ाई और अनुशासन शामिल था। कई बार उन्हें चोटें आईं और थकान महसूस हुई, लेकिन अनुष्का ने कभी हार नहीं मानी।
धीरे-धीरे वह एक तेजतर्रार स्ट्राइकर के रूप में पहचान बनाती गईं। उन्होंने क्रिस्टियानो रोनाल्डो को अपना आदर्श माना, लेकिन उनकी खुद की पहचान भी बन गई। उनकी मेहनत रंग लाई, और उन्होंने स्कूल गेम्स में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया।
साल 2025 में भूटान में हुए सैफ अंडर-17 महिला फुटबॉल चैंपियनशिप ने उनके करियर में महत्वपूर्ण मोड़ लाया। उन्हें इस टूर्नामेंट में टॉप स्कोरर का खिताब मिला।
जब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार की खबर हजारीबाग में पहुंची, तो प्रशिक्षण केंद्र में खुशी की लहर दौड़ गई। कोच और साथी खिलाड़ियों ने इसे अनुष्का की मेहनत और अनुशासन की जीत बताया।