क्या रांची के पास घर में घुसा रॉयल बंगाल टाइगर अब सुरक्षित है?

सारांश
Key Takeaways
- बाघ की रेस्क्यू प्रक्रिया में 14 घंटे लगे।
- बाघ का संबंध रॉयल बंगाल प्रजाति से है।
- गांव में भीड़ का प्रबंधन करना पुलिस और वन विभाग की जिम्मेदारी थी।
- रेस्क्यू टीमों की सक्रियता महत्वपूर्ण थी।
- स्थानीय ग्रामीणों ने बाघ के बारे में पहले ही जानकारी दी थी।
रांची, 25 जून (राष्ट्र प्रेस)। रांची जिले के सिल्ली प्रखंड के कोचो पंचायत के मारदू गांव में एक बाघ घर में घुस आया था, जिसे 14 घंटे बाद सुरक्षित रूप से रेस्क्यू कर लिया गया। पलामू के बेतला स्थित टाइगर रिजर्व से आई विशेष टीम ने उसे घर से बाहर निकालकर बुधवार शाम करीब 6.30 बजे पिंजरे में कैद करने में सफलता प्राप्त की। यह रॉयल बंगाल प्रजाति का बाघ था।
बुधवार सुबह 4.30 बजे मुरी स्थित हिंडालको के कारखाने में नाइट शिफ्ट खत्म करने के बाद पूरन चंद जब घर पहुंचे, तो वह बकरी को बाहर निकाल रहे थे तभी बाघ घर के भीतर घुस आया। घर के एक कमरे में दो बच्चियां सो रही थीं। पूरन चंद ने सतर्कता बरतते हुए दोनों बच्चियों को लेकर चुपचाप बाहर निकले और घर के बाहर लगे लोहे के दरवाजे को बंद कर दिया।
जैसे ही इसकी जानकारी मिली, गांव में हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। पूरे क्षेत्र में सुबह से शाम तक भय और जिज्ञासा का माहौल बना रहा। वन विभाग की टीम भी तुरंत सक्रिय हो गई।
रांची के वन प्रमंडल अधिकारी की सूचना पर रांची के सदर एसडीओ ने इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर दी। पुलिस ने घर के बाहर खड़े लोगों को दूर किया। वन विभाग ने पहले ओरमांझी में स्थित बिरसा जैविक उद्यान की रेस्क्यू टीम को बुलाया, लेकिन वह बाघ को पकड़ने में सफल नहीं हो सकी।
इसके बाद, वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने पलामू के बेतला टाइगर रिजर्व से एक और टीम को बुलाया। पकड़े गए बाघ की लंबाई लगभग छह फीट है। स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, यह बाघ रांची के तमाड़, खूंटी और आस-पास के कई इलाकों में पिछले कुछ दिनों से घूम रहा था। इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को पहले से ही दी गई थी।