क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 16 से 22 दिसंबर तक तीन राज्यों का दौरा करने जा रही हैं?
सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का दौरा कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना में होगा।
- उद्घाटन समारोह और धार्मिक गतिविधियाँ शामिल हैं।
- ऊर्जा संरक्षण के महत्व को बढ़ावा दिया जाएगा।
- राष्ट्रपति का ध्यान ऊर्जा दक्षता पर है।
- आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ऊर्जा संरक्षण से महत्वपूर्ण बचत हुई है।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 16 से 22 दिसंबर तक कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना का दौरा करेंगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 16 दिसंबर को कर्नाटक के मांड्या जिले के मालवल्ली में आदि जगद्गुरु श्री शिवरात्रिश्वर शिवयोगी महास्वामीजी के 1066वें जयंती समारोह का उद्घाटन करेंगी। 17 दिसंबर को राष्ट्रपति तमिलनाडु में वेल्लोर स्थित स्वर्ण मंदिर में दर्शन और आरती करेंगी। इसके बाद वे शीतकालीन प्रवास के लिए सिकंदराबाद के बोलारम स्थित राष्ट्रपति निलयम पहुंचेंगी।
19 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैदराबाद में तेलंगाना लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगी।
20 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैदराबाद में 'भारत का शाश्वत ज्ञान: शांति और प्रगति के मार्ग' विषय पर एक सम्मेलन को संबोधित करेंगी। यह सम्मेलन ब्रह्मा कुमारीज शांति सरोवर अपनी 21वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित कर रहा है।
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2025 और ऊर्जा संरक्षण पर राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता के पुरस्कार प्रदान किए। इस दौरान उन्होंने ऊर्जा-कुशल तरीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ऊर्जा संरक्षण 'सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि आज की सबसे जरूरी जरूरत है।'
नई दिल्ली में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ऊर्जा संरक्षण को ऊर्जा का सबसे पर्यावरण के अनुकूल और विश्वसनीय स्रोत बताया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा बचाने का मतलब केवल खपत कम करना नहीं है, बल्कि ऊर्जा का 'समझदारी से, जिम्मेदारी से और कुशलता से' उपयोग करना है। उन्होंने कहा कि बिजली के उपकरणों का अनावश्यक उपयोग न करने, ऊर्जा-कुशल उपकरणों को अपनाने, प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन का उपयोग करने और सौर तथा अन्य नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों को अपनाने से कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आ सकती है।
आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 2023-24 के दौरान भारत के ऊर्जा दक्षता प्रयासों के परिणामस्वरूप 53.60 मिलियन टन तेल के बराबर ऊर्जा की बचत हुई, जिससे महत्वपूर्ण आर्थिक बचत हुई और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में काफी कमी आई।