क्या राष्ट्रीय लोक अदालत में 27 साल पुराने मामले का निपटारा हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह के माध्यम से लंबित मामले समाप्त किए जा सकते हैं।
- न्याय की प्रक्रिया में समय लग सकता है, लेकिन सुलह एक प्रभावी विकल्प है।
- एक मामले का निपटारा परिवार के सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण होता है।
मुजफ्फरपुर, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय लोक अदालत शनिवार को आयोजित की गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग अपने मामलों के समाधान के लिए उपस्थित हुए। बिहार के मुजफ्फरपुर में राष्ट्रीय लोक अदालत में एक 27 साल पुराना मामला सुलह के माध्यम से समाप्त किया गया।
यह मामला मुजफ्फरपुर जिले का है, जहां 1998 में दर्ज एक मामले को सुलह के जरिए समाप्त किया गया है। मामले में वादी की मौत हो चुकी थी। अब उनकी बेटी ने अदालत में सुलहनामे पर हस्ताक्षर कर मामले को समाप्त किया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव जय श्री कुमारी ने बताया कि मुजफ्फरपुर कोर्ट परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत में 1998 के केस नंबर 166 में महादेव दास का 27 वर्ष पुराना केस सुलह के माध्यम से समाप्त हुआ।
यह मामला 1998 में शुरू हुआ था, जब महादेव दास किसी काम से जा रहे थे। इस दौरान गांव के कुछ लोगों ने उनके साथ बदतमीजी की और लूट की। महादेव दास इस घटना से बहुत आहत हुए।
उनके परिजनों ने उन्हें चुप रहने की सलाह दी, लेकिन वह अपने साथ हुई घटना को भुला नहीं सके। इसके बाद महादेव दास ने न्यायपालिका पर भरोसा जताया और पुलिस थाने में केस दर्ज करवाया।
हालांकि, अदालत से न्याय मिलने में काफी समय लगा। तारीखों पर तारीखें पड़ती रहीं, और महादेव दास की मौत हो गई, लेकिन मामला चलता रहा।
जब यह मुद्दा राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुंचा, तो अधिकारियों ने इसका संज्ञान लिया। जानकारी जुटाने पर पता चला कि महादेव दास का निधन हो चुका है। उनके परिवार में केवल एक बेटी थी, जिसकी शादी हो चुकी है।
महादेव दास की बेटी को राष्ट्रीय लोक अदालत में बुलाया गया और अधिकारियों के समक्ष सुलह करके मामले को समाप्त किया गया।