क्या आरबीआई एमपीसी का निर्णय वैश्विक कमजोरियों और घरेलू मजबूती के बीच संतुलन बनाता है?

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क्या आरबीआई एमपीसी का निर्णय वैश्विक कमजोरियों और घरेलू मजबूती के बीच संतुलन बनाता है?

सारांश

आरबीआई की एमपीसी का हालिया निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक संतुलन बनाता है। वैश्विक कमजोरियों के बीच स्थिरता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। जानिए अर्थशास्त्रियों की राय और इसके संभावित प्रभाव क्या होंगे।

Key Takeaways

  • आरबीआई ने रेपो रेट को ५.५ प्रतिशत पर बनाए रखा है।
  • भारत की सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान ३.१ प्रतिशत रहने का है।
  • ग्लोबल अनिश्चितताएँ के बावजूद जीडीपी वृद्धि दर ६.५ प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
  • मानसून की स्थिति खाद्य कीमतों पर प्रभाव डालेगी।
  • बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर सरकारी खर्च से विकास को गति मिलेगी।

नई दिल्ली, ६ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को आरबीआई की एमपीसी द्वारा रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम प्रतिकूल भूराजनीतिक परिस्थितियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

इंडियन बैंक के एमडी और सीईओ बिनोद कुमार ने कहा कि आरबीआई का यह निर्णय उम्मीद के अनुसार और स्वागत योग्य है।

कुमार ने कहा, "आरबीआई ने पहले ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत कर दी थी, इसलिए यह अपेक्षित था कि वह स्थिति को स्थिर बनाए रखेगा। यह एक सकारात्मक कदम है। फिर भी, आने वाले महीनों में इस पर पुनर्विचार की संभावना है क्योंकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) स्थिर है और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता हो सकती है।"

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, "अपने मुद्रास्फीति अनुमान को पहले के ३.७ प्रतिशत से घटाकर ३.१ प्रतिशत करने के बावजूद, आरबीआई द्वारा ब्याज दरों को स्थिर रखने का निर्णय एक साल के लिए अपेक्षित मुद्रास्फीति पर उनके ध्यान का परिणाम है, जो ४ प्रतिशत से ऊपर नजर आ रही है, जबकि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच विकास दर अच्छी बनी हुई है।"

पीएल कैपिटल के अर्थशास्त्री अर्श मोगरे का मानना है कि यह निर्णय वैश्विक अनिश्चितताओं के मद्देनजर भारत को मजबूत बनाए रखने में सहायक होगा।

मोगरे ने कहा, "रेपो दर को ५.५० प्रतिशत पर बनाए रखना आरबीआई का निर्णय केवल एक विवेकपूर्ण कदम नहीं था, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर कमजोर स्थितियों और घरेलू मजबूती के बीच एक संतुलित विराम था। हालाँकि, मुख्य मुद्रास्फीति अभी भी संतुलित बनी हुई है और जून में की गई ५० आधार अंकों की कटौती अभी भी प्रणाली में दिखाई दे रही है। एमपीसी इस बात से पूरी तरह अवगत है कि टैरिफ के प्रभाव से विकास पर पड़ने वाले नकारात्मक जोखिमों का अभी पूरी तरह से आकलन नहीं किया गया है।"

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट को ५.५ प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है, जबकि मौद्रिक नीति का रुख तटस्थ बना रहेगा।

उन्होंने बताया कि व्यापक आर्थिक स्थिति और विकास-मुद्रास्फीति की गतिशीलता के विस्तृत आकलन के बाद एमपीसी द्वारा सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया।

आरबीआई की एमपीसी ने वित्त वर्ष २०२५-२६ के लिए भारत की सीपीआई मुद्रास्फीति ३.१ प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, क्योंकि मानसून की स्थिर प्रगति और खरीफ की मजबूत बुवाई से खाद्य कीमतों पर नियंत्रण रहने की उम्मीद है।

साथ ही, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष २०२५-२६ के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर ६.५ प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है। बैंक को उम्मीद है कि अच्छे मानसून के कारण ग्रामीण माँग मज़बूत रहेगी और बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर सरकारी खर्च से विकास को गति मिलेगी।

Point of View

यह कहना उचित है कि आरबीआई का निर्णय वैश्विक और घरेलू स्थितियों के बीच संतुलन की एक कोशिश है। यह निर्णय न केवल मौद्रिक नीति को स्थिर रखता है, बल्कि विकास के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करने की संभावनाओं को भी खोलता है।
NationPress
06/08/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई एमपीसी क्या है?
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) भारत में मौद्रिक नीति के निर्णय लेने वाली एक संस्था है।
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को धन उधार देता है।
आरबीआई का रेपो रेट स्थिर रखने का क्या अर्थ है?
इसका अर्थ है कि मौद्रिक नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिससे आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति क्या है?
भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद सामान्य स्थिति में है और विकास दर अच्छी बनी हुई है।
क्या आने वाले समय में ब्याज दरों में बदलाव हो सकता है?
हाँ, आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति और विकास के आधार पर ब्याज दरों में बदलाव की संभावना है।