क्या रियर एडमिरल वी. गणपति ने सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान के कमांडेंट का कार्यभार संभाला?

सारांश
Key Takeaways
- रियर एडमिरल वी. गणपति ने सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान के कमांडेंट के रूप में कार्यभार संभाला।
- संस्थान थल सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों को प्रशिक्षित करेगा।
- यह नियुक्ति तकनीकी विकास के महत्वपूर्ण समय में हुई है।
- उनका नेतृत्व संयुक्त तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देगा।
- नवीनतम तकनीकी क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना के प्रमुख अधिकारी और प्रसिद्ध फ्लैग ऑफिसर रियर एडमिरल वी. गणपति ने सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान के कमांडेंट के रूप में अपनी नई जिम्मेदारी संभाली है। इस भूमिका में, वह थल सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों को अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित करने का कार्य करेंगे।
इस प्रशिक्षण में आधुनिक युद्ध को बदलने वाले विशेष और उभरते क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह संस्थान हेडक्वार्टर इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के अधीन भारत का प्रमुख त्रि-सेवा तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र है। रियर एडमिरल वी. गणपति ने पुणे स्थित सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान (MILIT) में कार्यभार संभाला है।
उनकी कमांडेंट के रूप में नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब सशस्त्र बल तेजी से प्रौद्योगिकी के विकास की दिशा में बढ़ रहे हैं। वह सेना, नौसेना, वायु सेना और भारत के मित्र देशों के मध्य-कैरियर अधिकारियों के प्रशिक्षण पर काम करेंगे। उनका लक्ष्य सैन्य अधिकारियों को अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकियों से लैस करना है।
उनका नेतृत्व संयुक्त तकनीकी शिक्षा में उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में MILIT की भूमिका को और मजबूत करेगा।
रियर एडमिरल गणपति का नौसेना करियर विविध और उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने विभिन्न कार्यकालों में कई महत्वपूर्ण संचालनात्मक, स्टाफ और प्रशिक्षण से जुड़े पदों पर कार्य किया है। वे कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट, नेशनल डिफेंस कॉलेज और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र हैं।
अब वह सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान का नेतृत्व करेंगे। यहां थल सेना, नौसेना, वायु सेना और मित्र देशों के मध्य-स्तरीय अधिकारियों को अत्याधुनिक सैन्य तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है। उनका नेतृत्व सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान की भूमिका को संयुक्त तकनीकी शिक्षा के एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में और अधिक मजबूत करेगा। इसके साथ ही, आधुनिक युद्ध की दिशा को बदलने वाले नवीनतम और उभरते तकनीकी क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।