क्या 1990 के मुकाबले आज एक्टर्स की दुनिया में बदलाव आया है? : रेणुका शहाणे

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क्या 1990 के मुकाबले आज एक्टर्स की दुनिया में बदलाव आया है? : रेणुका शहाणे

सारांश

आज की फ़िल्मों की दुनिया में बदलाव पर चर्चा करते हुए, रेणुका शहाणे ने बताया कि कैसे 1990 के दशक से लेकर आज तक कलाकारों के काम करने के तरीके और उनके पीछे की टीमों में परिवर्तन हुआ है। जानें इस दिलचस्प बातचीत में उनके विचार।

Key Takeaways

  • अभिनेताओं के लिए बड़ी टीम होना आवश्यक है।
  • सोशल मीडिया प्रबंधन का महत्व बढ़ा है।
  • निर्माताओं को खर्च और सुविधाओं का ध्यान रखना चाहिए।
  • लोगों को अभिनेताओं को समझने की आवश्यकता है, न कि उन्हें आंकने की।
  • रेणुका की फिल्म 'लूप लाइन' ने भी नई सोच को दर्शाया है।

मुंबई, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध अभिनेत्री और फिल्म निर्माता रेणुका शहाणे ने राष्ट्र प्रेस से चर्चा करते हुए कहा कि आज की फ़िल्मों की दुनिया 1990 के दशक की अपेक्षा काफी परिवर्तित हो चुकी है।

उन्होंने उल्लेख किया कि पहले, 1990 के दशक में, सितारों के पास इतनी बड़ी टीम नहीं होती थी, लेकिन आजकल, स्टार्स के साथ मैनेजर्स, स्टाइलिस्ट, सोशल मीडिया की टीम और अन्य लोग जुड़े होते हैं। ये सभी मिलकर अभिनेताओं की सहायता करते हैं, हालांकि इससे फ़िल्म बनाने की लागत भी बढ़ जाती है।

रेणुका ने कहा, ''आजकल अभिनेताओं के लिए अपनी पहचान बनाने और खुद को प्रस्तुत करने के कई अवसर हैं। यदि आप बड़े स्टार हैं, तो आपके लिए अलग-अलग लोग काम करते हैं। कोई आपकी सोशल मीडिया को संभालता है, कोई आपके विज्ञापनों का प्रबंधन करता है, और टेलीविजन के विज्ञापनों के लिए भी अलग व्यक्ति होता है। कॉस्ट्यूम और मेकअप के लिए भी एक टीम होती है। ये सभी तत्व अभिनेताओं की पहचान को बनाए रखते हैं।''

उन्होंने आगे कहा, ''हर कोई अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभाता है। इतने लोगों का काम करना तभी संभव है जब प्रोड्यूसर या फ़िल्म निर्माता के लिए यह खर्च लाभदायक हो।''

रेणुका ने बताया कि बड़ी टीम को रखना मेकर्स के लिए मजबूरी नहीं होती, बल्कि यह पैसे और सुविधाओं पर निर्भर करता है। इसके आधार पर ही निर्धारित किया जाता है कि सेट पर कितने लोग काम करेंगे।

एक्ट्रेस ने कहा, ''लोग सितारों के पीछे की बड़ी टीम को देखकर उन्हें गलत तरीके से आंकते हैं। लोग सोचते हैं कि वे दिखावा कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता में ये सब स्टार के आराम और कार्य के लिए आवश्यक होता है। हमें उन्हें आंकने के बजाय समझने का प्रयास करना चाहिए।''

रेणुका शहाणे की तीसरी निर्देशित फ़िल्म 'लूप लाइन' को 21 जून को न्यूयॉर्क इंडियन फ़िल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया। यह एक मराठी भाषा में बनी एनिमेटेड शॉर्ट फ़िल्म है। इसमें भारतीय गृहणियों की भावनात्मक समस्याओं और उनकी खामोश लड़ाई को दर्शाया गया है, विशेष रूप से उन महिलाओं को जो पारंपरिक और पुरुष प्रधान परिवारों में फंसी होती हैं।

Point of View

लेकिन यह भी एक नई चुनौती है। सामाजिक मीडिया और अन्य पेशेवरों की उपस्थिति ने फ़िल्म निर्माण के खर्च को बढ़ा दिया है, जो कि एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

रेणुका शहाणे ने आज के फ़िल्म उद्योग में क्या बदलाव देखे हैं?
रेणुका शहाणे ने बताया कि आजकल सितारों के साथ बड़ी टीम होती है, जो उनके काम को आसान बनाती हैं, जबकि 1990 के दशक में यह स्थिति नहीं थी।
क्या बड़ी टीम होना फ़िल्म निर्माताओं के लिए जरूरी है?
बड़ी टीम होना फ़िल्म निर्माताओं के लिए जरूरी नहीं है, यह उनकी सुविधाओं और बजट पर निर्भर करता है।
क्या लोग अभिनेताओं की बड़ी टीम को लेकर गलत धारणा रखते हैं?
हां, लोग अक्सर अभिनेताओं के पीछे की बड़ी टीम को देखकर उन्हें गलत तरीके से जज करते हैं, जबकि यह सब उनकी मदद के लिए आवश्यक होता है।