क्या ऋषभ पंत भारतीय क्रिकेट टीम के 'योद्धा' हैं, जिन्होंने हर परिस्थिति में कभी हार नहीं मानी?

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क्या ऋषभ पंत भारतीय क्रिकेट टीम के 'योद्धा' हैं, जिन्होंने हर परिस्थिति में कभी हार नहीं मानी?

सारांश

ऋषभ पंत ने अपने संघर्ष और दृढ़ संकल्प से न केवल खुद को साबित किया है, बल्कि भारतीय क्रिकेट में भी एक नई पहचान बनाई है। उनके जीवन की कहानी प्रेरणादायक है, जो हर युवा को प्रेरित करती है कि कैसे कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।

Key Takeaways

  • ऋषभ पंत ने अपने संघर्ष से साबित किया कि हर परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए।
  • उन्हें महेंद्र सिंह धोनी की विरासत का उत्तराधिकारी माना जाता है।
  • पंत की वापसी ने उन्हें एक योग्यता और संकल्प का प्रतीक बना दिया।
  • उनकी प्रेरणादायक कहानी युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करती है।
  • पंत ने भारतीय क्रिकेट को नए आयाम दिए हैं।

नई दिल्ली, ३ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत ने सचमुच महेंद्र सिंह धोनी के उत्तराधिकारी होने का प्रमाण दिया है। अपनी उत्कृष्ट विकेटकीपिंग, आक्रामक बल्लेबाजी की शैली और तेज़ी से रन बनाने की क्षमता के लिए जाने जाने वाले पंत ने कई महत्वपूर्ण मैचों में टीम इंडिया को विजय दिलाई है। ऋषभ पंत ने एक भयानक दुर्घटना का सामना किया, लेकिन हर परिस्थिति में लड़ने की उनकी क्षमता उन्हें एक 'योद्धा' बनाती है।

३० दिसंबर २०२२ को दिल्ली-देहरादून राजमार्ग पर ऋषभ पंत की तेज रफ्तार कार एक डिवाइडर से टकराकर पलट गई। पंत कार के अंदर ही थे। इस दौरान रजत कुमार और निशु कुमार नामक दो युवकों ने विंडस्क्रीन तोड़कर इस खिलाड़ी की जान बचाई। यह घटना इतनी भयानक थी कि हादसे के बाद कार में आग लग गई।

इस हादसे में पंत के सिर, पैर और पीठ पर चोटें आईं। उनकी रिकवरी के लिए लगभग १४-१५ महीनों का समय लगा। यह व्यक्तिगत रूप से एक भयावह अनुभव था। चोट उनके पूरे करियर को समाप्त कर सकती थी और रिकवरी का रास्ता बहुत लंबा था, लेकिन पंत की प्रतिबद्धता, समर्पण और जुनून ने उन्हें फिर से खेल के मैदान पर लाने में मदद की।

५ जून २०२४ को आयरलैंड के खिलाफ इस विकेटकीपर-बल्लेबाज ने एक बार फिर भारतीय टीम में वापसी की। ये 'ऋषभ पंत २.०' थे! जिन्होंने हादसे के बाद मैदान पर वापसी करते हुए २६ गेंदों में २ छक्कों और ३ चौकों की मदद से ३६ रन की नाबाद पारी खेली। इस खिलाड़ी ने ४६ मिनट तक क्रीज पर टिके रहकर भारत को जीत दिलाई।

पंत ने इस मुकाबले में न केवल बल्ले से, बल्कि विकेटकीपर के रूप में भी अपनी पूरी क्षमता दिखाई। उन्होंने दो खिलाड़ियों को कैच आउट किया और एक बल्लेबाज को रन आउट कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ऋषभ पंत ने हादसे के बाद अब तक वनडे फॉर्मेट में १० मैच खेले हैं और टेस्ट मैचों में देश के लिए जुझारू प्रदर्शन किया है।

अभी तक पंत ने भारत के लिए १४ टेस्ट खेले हैं, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण पारियां खेली हैं। उनका टेस्ट प्रदर्शन यह नहीं बताता कि उनका एक भयानक एक्सीडेंट हुआ था। पंत का खेल अब भी निडर और बेबाक है, जो आधुनिक टेस्ट क्रिकेट में नया रोमांच लाता है।

सितंबर २०२४ में टेस्ट फॉर्मेट में वापसी करते हुए पंत ने बांग्लादेश के खिलाफ १२८ गेंदों में १०९ रन की पारी खेली। इसके बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ महज १ रन से शतक चूके।

इंग्लैंड दौरे पर पंत से देश को काफी उम्मीदें थीं। उन्होंने लीड्स में पहले टेस्ट की दोनों पारियों में शतक (१३४ और ११८ रन) जमाए। इस मुकाबले में पंत ने अकेले दम पर २५२ रन जोड़े, लेकिन भारत मैच नहीं जीत सका।

पंत को इस हार का अफसोस था। बर्मिंघम में उन्होंने २५ और ६५ रन की पारियां खेलीं, जिससे भारत ने ३३६ रन से मैच जीतकर सीरीज में १-१ की बराबरी की। इसके बाद पंत ने तीसरे टेस्ट में ७४ और ९ रन बनाए और विकेटकीपिंग में भी योगदान दिया, लेकिन भारत २२ रन से मैच हार गया।

पंत मैनचेस्टर में चौथे टेस्ट में उतरे। भारतीय टीम इस मुकाबले को किसी भी हाल में नहीं गंवाना चाहती थी। लेकिन पंत चोटिल हो गए।

क्रिस वोक्स की गेंद पर रिवर्स स्वीप खेलते समय पंत चोटिल हुए। उनके पैर की अंगुली में फ्रैक्चर आ गया और वह दर्द में तड़पते हुए मैदान से बाहर लौटे। सभी को लगा कि अब पंत इस सीरीज में आगे नहीं खेल सकेंगे।

हालांकि, दाहिने पैर में चोट के बावजूद पंत अगले दिन फिर से बल्लेबाजी के लिए उतरे। जब पंत धीरे-धीरे क्रीज की ओर बढ़ रहे थे, तो हर एक प्रशंसक तालियां बजा रहा था।

वास्तव में, पंत के लिए चलना बेहद मुश्किल था, लेकिन वह किसी तरह क्रीज तक पहुंचे और बल्लेबाजी शुरू की। इंग्लैंड के तेज गेंदबाज उनके उसी पैर को निशाना बना रहे थे, जिसमें पंत को चोट लगी थी, लेकिन भारत को हार से बचाने के लिए वह क्रीज पर डटे रहे। उन्होंने अपना अर्धशतक पूरा किया। इस पारी में पंत ने ७५ गेंदों का सामना करते हुए २ छक्कों और ३ चौकों के साथ ५४ रन बनाए। अंततः, भारत मैच ड्रॉ में सफल रहा।

४ अक्टूबर १९९७ को हरिद्वार में जन्मे इस 'योद्धा' की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। १२ साल की उम्र में पंत ने क्रिकेट खेलना शुरू किया। उन्होंने दिल्ली के सोनेट क्रिकेट अकादमी में दाखिला लिया। जब पहली बार दिल्ली आए, तो मां के साथ एक गुरुद्वारे में रात बिताई। पंत जब दिल्ली आते, तो इसी तरह अपने दिन गुजारते, ताकि परिवार पर आर्थिक बोझ कम से कम पड़े।

आईपीएल १० में ऋषभ पंत दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेल रहे थे। इसी दौरान उनके पिता का निधन हो गया। पंत अपने गृहनगर रुड़की लौटे और पिता के अंतिम संस्कार के तुरंत बाद वापस आकर आईपीएल मैच खेला। उन्होंने पिता के निधन के दो दिन बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के खिलाफ ५७ रन की पारी खेली।

ऋषभ पंत के टेस्ट करियर पर नज़र डालें, तो उन्होंने ४७ मुकाबलों में ४४.५० की औसत के साथ ३,४२७ रन बनाए हैं, जिसमें ८ शतक और १८ अर्धशतक शामिल हैं। टेस्ट क्रिकेट में पंत ने करीब ७४ की स्ट्राइक रेट से धुआंधार बल्लेबाजी की है। ३१ वनडे मुकाबलों में उन्होंने १ शतक के साथ ८७१ रन जुटाए हैं। पंत भारत की ओर से ७६ टी२० मुकाबले खेल चुके हैं, जिसमें उनके बल्ले से १,२०९ रन निकले हैं।

Point of View

बल्कि उन पर कैसे विजय प्राप्त करें, यही असली सफलता है। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए भी गर्व की बात है।
NationPress
03/10/2025

Frequently Asked Questions

ऋषभ पंत का जन्म कब हुआ?
ऋषभ पंत का जन्म ४ अक्टूबर १९९७ को हरिद्वार में हुआ।
ऋषभ पंत ने कितने टेस्ट मैच खेले हैं?
ऋषभ पंत ने अब तक ४७ टेस्ट मैच खेले हैं।
ऋषभ पंत की प्रमुख उपलब्धियां क्या हैं?
ऋषभ पंत ने टेस्ट में ८ शतक और १८ अर्धशतक बनाकर अपने करियर को मजबूत किया है।
ऋषभ पंत को किस तरह की चोट लगी थी?
ऋषभ पंत को एक गंभीर कार दुर्घटना में सिर, पैर और पीठ पर चोटें आई थीं।
ऋषभ पंत की बल्लेबाजी शैली क्या है?
ऋषभ पंत को आक्रामक बल्लेबाजी और तेज़ रन बनाने की क्षमता के लिए जाना जाता है।