क्या मद्रास हाईकोर्ट ने करूर भगदड़ की सीबीआई जांच से इनकार किया?

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क्या मद्रास हाईकोर्ट ने करूर भगदड़ की सीबीआई जांच से इनकार किया?

सारांश

मद्रास हाईकोर्ट ने करूर रैली में हुई भगदड़ के मामले में सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया है। अदालत ने राजनीतिक रैलियों के लिए सख्त एसओपी का सुझाव दिया है। जानें इस मामले में क्या हुआ और राज्य की राजनीति कैसे प्रभावित हुई।

Key Takeaways

  • राजनीतिक रैलियों के लिए सख्त एसओपी का सुझाव
  • भगदड़ में 41 लोगों की मौत
  • सीबीआई जांच की मांग खारिज
  • भविष्य में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता
  • राजनीतिक विवादों का बढ़ता खतरा

चेन्नई, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राजनीतिक रैलियों के लिए सख्त एसओपी का सुझाव दिया। साथ ही, अदालत ने अभिनेता-राजनेता विजय की करूर रैली में पिछले महीने हुई भगदड़ की सीबीआई जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया। इस भगदड़ में 41 लोगों की जान चली गई थी।

न्यायमूर्ति एम धंदापानी और एम जोतिरमन की पीठ ने भाजपा नेता उमा आनंदन की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर कार्रवाई करने से मना कर दिया, लेकिन याचिकाकर्ता को यह आजादी दी कि यदि जांच ठीक से नहीं होती है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता के अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस अदालत को राजनीतिक अखाड़े की तरह न समझा जाए।

अदालत ने कहा कि यदि पीड़ित व्यक्ति इस अदालत में आते हैं, तो हम उनकी सहायता करेंगे। याचिकाकर्ता से कहा गया कि पहले वह करूर में 27 सितंबर की घटना की जांच को उसके प्रारंभिक चरण से आगे बढ़ने दें।

भाजपा नेता ने इस घटना की सीबीआई से जांच कराने के लिए हाई कोर्ट से निर्देश मांगा था और यह दावा किया था कि ये मौतें कथित सरकारी उदासीनता के कारण हुई हैं।

हाई कोर्ट ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। कुछ याचिकाओं में पीड़ितों के लिए घोषित मुआवजे में वृद्धि की मांग की गई थी।

पीठ ने रैलियों या बैठकों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने और राज्य या राष्ट्रीय राजमार्गों के निकट आयोजनों की अनुमति न देने के तमिलनाडु सरकार के सुझाव पर विचार किया।

अदालत ने सुझाव दिया कि भविष्य में जब ऐसी राजनीतिक रैलियां या बैठकें आयोजित की जाएं, तो सरकार और राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वहां पेयजल और स्वच्छता की उचित व्यवस्था हो।

पीठ ने यह भी कहा कि भगदड़ की संभावना को कम करने के लिए निकास मार्ग और पार्किंग की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

टीवीके पार्टी की रैली में हुई भगदड़ ने राज्य में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। इस घटना को लेकर पुलिस ने पार्टी के राज्य महासचिव बूसी आनंद पर मामला दर्ज किया है।

विजय ने इस दुखद घटना के पीछे साजिश का आरोप लगाया, जबकि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विरोधी दलों पर त्रासदियों का फायदा उठाकर चुनावी लाभ लेने का आरोप लगाया।

Point of View

यह स्पष्ट है कि राजनीतिक रैलियों में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। मद्रास हाईकोर्ट का सुझाव एक सकारात्मक कदम है, लेकिन सीबीआई जांच की मांग को खारिज करना एक विवादास्पद विषय है। हमें उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी और सच्चाई सामने आएगी।
NationPress
03/10/2025

Frequently Asked Questions

करूर भगदड़ में कितने लोग मरे?
करूर भगदड़ में 41 लोगों की मौत हुई थी।
मद्रास हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच से क्यों इनकार किया?
मद्रास हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को बताया कि जांच को उसके प्रारंभिक चरण से आगे बढ़ने दिया जाए।
क्या सरकार ने रैलियों के लिए एसओपी तैयार करने का सुझाव दिया?
हां, अदालत ने राजनीतिक रैलियों के लिए सख्त एसओपी का सुझाव दिया है।