क्या बंगाल में बढ़ती हिंसा पर विचार करना जरूरी है? आरएसएस का बयान

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क्या बंगाल में बढ़ती हिंसा पर विचार करना जरूरी है? आरएसएस का बयान

सारांश

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पश्चिम बंगाल में बढ़ती हिंसा पर चिंता जताई है और लोगों से इसके कारणों पर विचार करने की अपील की है। संघ ने जनसंख्या नियंत्रण और संगठन विस्तार के मुद्दों पर भी अपने विचार रखे हैं। यह लेख बंगाल के हिंसा के मुद्दे पर संघ की दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है।

Key Takeaways

  • बंगाल में हिंसा पर विचार करना आवश्यक है।
  • आरएसएस का जनसंख्या नीति पर ध्यान।
  • एक लाख शाखाओं का लक्ष्य
  • भाजपा की सीटों में वृद्धि का महत्व।
  • राज्य और केंद्र के बीच संबंध को मजबूत करना।

नई दिल्ली, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पश्चिम बंगाल में बढ़ती हिंसा के बारे में चिंता व्यक्त की है। संघ ने कहा है कि बंगाल में हिंसा के कारणों पर लोगों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

जानकारों के अनुसार, संघ ने देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। संघ के मुताबिक, भारत में सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण नहीं, बल्कि एक समग्र जनसंख्या नीति की आवश्यकता है, जो सभी भारतीयों पर लागू होनी चाहिए।

सूत्रों ने बताया कि संघ ने अक्टूबर तक देशभर में एक लाख शाखाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में 2018 शाखाएं कार्यरत हैं।

संघ ने बंगाल में हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं संरक्षण के कारण होती हैं। उन्होंने लोगों से इस पर विचार करने की अपील की।

संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि आरएसएस का कोई ऐसा संविधान नहीं है, जिसमें 75 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का नियम हो। इसलिए, यह नियम किसी पर थोपा नहीं जा सकता। प्रत्येक संगठन को अपनी स्वायत्तता के साथ कार्य करना चाहिए। राज्य सरकार हमें भागवत की सभा की अनुमति नहीं देती। हमें यह अदालत से मिली हुई है।

आरएसएस ने बंगाल में भाजपा की सीटों की संख्या (72-75) को उल्लेखनीय वृद्धि माना, लेकिन सत्ता में आने की संभावना को एक अलग मुद्दा बताया। सूत्रों के अनुसार, उनका मानना है कि किसी ने नहीं सोचा था कि भाजपा 72-75 सीटें जीतेगी। यह निश्चित रूप से एक विकास है। क्या वे बंगाल में सत्ता में आएंगे, यह अलग बात है।

आरएसएस का मानना है कि सभी को स्वतंत्रता के साथ जीने का अधिकार है, लेकिन देश के प्रति निष्ठा पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि न तो भारत में गैर-हिंदुओं को प्रताड़ित किया जाना चाहिए और न ही बांग्लादेश में हिंदुओं को।

भाषा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि संपर्क भाषा एक हो सकती है, लेकिन राष्ट्रीय भाषाएं अनेक हो सकती हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में 'राजधर्म' की कमी पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि वे ममता बनर्जी की सरकार से संतुष्ट नहीं हैं।

हालांकि, संघ ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें एक-दूसरे की दुश्मन नहीं हैं। हम कांग्रेस के साथ भी नीतिगत मुद्दों पर चर्चा करते थे। हम प्रणब दा से बांग्लादेश और नेपाल पर बात करते थे।

चीन के साथ संबंधों पर संघ का मानना है कि आरएसएस कभी भी किसी देश से स्थायी दुश्मनी की बात नहीं करता। सभी के साथ संबंध रखने चाहिए, लेकिन राष्ट्र की सर्वोच्चता सर्वोपरि है।

Point of View

मैं यह कहना चाहूंगा कि आरएसएस का यह दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। देश में कानून व्यवस्था और सामाजिक एकता बनाए रखने के लिए सभी को अपने विचार और दृष्टिकोण साझा करने चाहिए। यह समय है कि हम सभी को मिलकर इस स्थिति का समाधान निकालना चाहिए।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

आरएसएस ने पश्चिम बंगाल में हिंसा पर क्या कहा?
आरएसएस ने बंगाल में बढ़ती हिंसा पर चिंता जताई और लोगों से इसके कारणों पर विचार करने की अपील की।
आरएसएस की जनसंख्या नियंत्रण नीति क्या है?
आरएसएस का मानना है कि भारत में एक समग्र जनसंख्या नीति की आवश्यकता है, जो सभी भारतीयों पर लागू हो।
आरएसएस का संगठन विस्तार का लक्ष्य क्या है?
आरएसएस ने अक्टूबर तक देशभर में एक लाख शाखाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।
आरएसएस का बंगाल में भाजपा की सीटों पर क्या कहना है?
आरएसएस ने बंगाल में भाजपा की सीटों की संख्या को उल्लेखनीय वृद्धि माना, लेकिन सत्ता में आने की संभावना को एक अलग मुद्दा बताया।
आरएसएस का चीन के साथ संबंधों पर क्या दृष्टिकोण है?
आरएसएस का मानना है कि किसी देश से स्थायी दुश्मनी नहीं होनी चाहिए, लेकिन राष्ट्र की सर्वोच्चता हमेशा सर्वोपरि होनी चाहिए।