क्या अयोध्या विवादित ढांचे के विध्वंस को लेकर साध्वी निरंजन ज्योति ने संतों को याद किया?
सारांश
Key Takeaways
- साध्वी निरंजन ज्योति ने राम मंदिर आंदोलन में संतों की भूमिका को याद किया।
- विवादित ढांचे का विध्वंस 1992 में हुआ था।
- यह दिन शौर्य और गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- अयोध्या का यह संघर्ष भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- साध्वी ने बाबर की ऐतिहासिक भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
दिल्ली, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राम मंदिर आंदोलन की एक प्रमुख सदस्य, भाजपा नेता साध्वी निरंजन ज्योति ने शनिवार को कहा कि भगवान राम की जन्मभूमि पर एक ढांचा निर्मित किया गया था, जिसे 1992 में आज के दिन कार सेवकों ने मात्र पांच घंटे में गिरा दिया था।
अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस की 33वीं वर्षगांठ पर, साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा, "आज हम इसे शौर्य और गौरव दिवस के रूप में मना रहे हैं। मैं उन महान आत्माओं को भी स्मरण करना चाहूंगी जिनकी वजह से आज हम रामलला के भव्य और दिव्य मंदिर का दर्शन कर पा रहे हैं।"
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में साध्वी ने कहा, "अशोक सिंघल ने इस आंदोलन में संतों और सिपाहियों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने समाज के संतों को एक मंच पर लाकर राम मंदिर के लिए आंदोलन की नींव रखी। मैं उन महान व्यक्तित्वों को भी याद करना चाहूंगी, जिनमें महंत परमहंस रामचंद्र दास, महंत अवैद्यनाथ और आचार्य धर्मेंद्र शामिल हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "हम उस समय के साक्षी हैं, जब कारसेवकों के रक्त से अयोध्या की गलियां रक्तरंजित हुईं। वह समय एक क्रूरता का चरम था। आज भी उस दिन की याद आती है।"
साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा, "जब रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए, मुझे भी उस पल का साक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री का अभिनंदन करती हूं। हमारे न्यायाधीशों ने साहस दिखाते हुए सबूत के आधार पर राम मंदिर पर फैसला सुनाया। आज मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर कहीं भी बनाया जा सकता था, लेकिन जन्मभूमि को नहीं बदला जा सकता।"
बाबर को लेकर साध्वी ने कहा, "वह एक हमलावर के रूप में भारत आया। उसने देश को लूटा, मंदिरों को तोड़ा और लाखों महिलाओं का सिंदूर मिटाया। हमें याद रखना चाहिए कि भारत में मुस्लिम समुदाय में भी कई महान हस्तियाँ हुई हैं। हमें उनका सम्मान करना चाहिए और उनका नाम लेना चाहिए। हमें क्रूरता को क्यों याद रखना चाहिए और बच्चों को क्रूरता के बारे में क्यों सिखाना चाहिए?"