क्या सहकारिता केवल आर्थिक मॉडल नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है? : सीएम धामी
सारांश
Key Takeaways
- सहकारिता का महत्व आर्थिक और सामाजिक दोनों क्षेत्रों में है।
- महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दी गई है।
- उत्तराखंड ने सहकारिता सुधार में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है।
- डिजिटलीकरण के माध्यम से सेवाओं का लाभ उठाया जा रहा है।
- जीरो टॉलरेंस नीति के तहत भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।
देहरादून, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेंजर्स ग्राउंड, देहरादून में आयोजित सहकारिता मेला 2025 में भाग लिया। यह कार्यक्रम 'अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025' और उत्तराखंड राज्य की स्थापना की रजत जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सहकारिता मेला केवल उत्पादों का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड की सहकारिता शक्ति, ग्रामीण आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान का एक सशक्त प्रतीक है। सहकारिता भारतीय जीवन पद्धति का मूल संस्कार रही है, जहाँ व्यक्ति अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज के सामूहिक हित के लिए कार्य करता है।
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान प्रतिस्पर्धी युग में सहकारिता की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। इसे ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को 'अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष' घोषित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 'सहकार से समृद्धि' के संकल्प को साकार करने के लिए देश में एक अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन एक ऐतिहासिक निर्णय है, जिसे केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में मजबूती से आगे बढ़ाया जा रहा है।
सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड अब सहकारिता सुधारों में देश में अग्रणी राज्य बन चुका है। पूरे देश में बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों के कंप्यूटरीकरण की शुरुआत उत्तराखंड से हुई, और अब प्रदेश की सभी 670 सहकारी समितियां पूर्ण रूप से डिजिटल हो चुकी हैं। जहाँ पहले किसान दफ्तरों के चक्कर लगाते थे, वहीं अब वे मोबाइल के माध्यम से सभी सेवाओं से जुड़ रहे हैं। यही कांग्रेस के कागजी मॉडल और भाजपा के जमीनी मॉडल का अंतर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी समितियां अब केवल ऋण देने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सस्ती दवाइयां, कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में बीमा, पेंशन, बिजली बिल, आधार एवं डिजिटल सेवाएं भी प्रदान कर रही हैं। जो संस्थाएं कभी बोझ मानी जाती थीं, वे आज जनता के लिए सुविधा केंद्र बन चुकी हैं। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सहकारी समितियों का डेटा राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस पर अपलोड किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के अंतर्गत किसानों, महिला स्वयं सहायता समूहों और सहकारी संस्थाओं को ब्याजमुक्त ऋण देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। आज सहकारी बैंकों में हजारों करोड़ रुपए की जमा पूंजी जनता के बढ़ते भरोसे का प्रमाण है।
महिला सशक्तीकरण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि महिला सहकारिता समितियों और स्वयं सहायता समूहों को विशेष प्राथमिकता दी गई है, जिससे लाखों महिलाएं 'लखपति दीदी' बनकर आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश कर रही हैं। कांग्रेस ने महिलाओं को केवल नारे दिए, जबकि भाजपा सरकार ने अवसर दिए। राज्य सरकार विकास के साथ-साथ उत्तराखंड की पहचान और संस्कृति की रक्षा के लिए भी संकल्पबद्ध है। अवैध कब्जों, लैंड जिहाद और अवैध संरचनाओं पर सख्त कार्रवाई की गई है। अवैध मदरसों पर कार्रवाई, ऑपरेशन कालनेमि और समान नागरिक संहिता इसी दृढ़ इच्छाशक्ति के परिणाम हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नकल विरोधी कानून लागू कर युवाओं का भविष्य सुरक्षित किया गया है, जिसके चलते हजारों युवाओं को बिना पर्ची-बिना खर्ची सरकारी नौकरी मिली है। कांग्रेस के समय नौकरी बिकती थी, जबकि आज योग्यता के आधार पर अवसर मिल रहे हैं।
भ्रष्टाचार पर सरकार की नीति स्पष्ट बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जीरो टॉलरेंस के तहत कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह बड़ा अधिकारी हो या छोटा कर्मचारी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने नाबार्ड द्वारा प्रकाशित 'स्टेट फोकस पेपर 2026-27, उत्तराखंड' का विमोचन किया और सहकारी समूहों को पांच-पांच लाख रुपए के ब्याजमुक्त ऋण के चेक भी वितरित किए।
मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह सहकारिता मेला आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर उत्तराखंड की दिशा में एक जनआंदोलन बनेगा और प्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बनाने के सरकार के 'विकल्प रहित संकल्प' को और अधिक मजबूती देगा।