क्या उत्तर प्रदेश के मुस्तफाबाद का नाम कबीरधाम बदलने पर सपा ने भाजपा को आड़े हाथों लिया?
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा पर विभाजनकारी राजनीति का आरोप।
- सपा का जनकल्याण पर ध्यान देने की अपील।
- महिलाओं और किसानों की सुरक्षा का मुद्दा।
- राजनीतिक नाम परिवर्तन पर सपा की प्रतिक्रियाएँ।
- जनता के बीच नफरत फैलाने वाली राजनीति का विरोध।
लखनऊ, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश के मुस्तफाबाद का नाम बदलकर कबीरधाम करने की घोषणा के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जोरदार हमला किया। उन्होंने भाजपा सरकार पर शासन और जनकल्याण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया।
सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "भारतीय जनता पार्टी नाम बदलने की राजनीति करती रहती है, लेकिन समाजवादी पार्टी का मानना है कि पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) सरकार बदलने जा रही है।"
उत्तर प्रदेश में एक ऐसी सरकार है जो कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर पूरी तरह विफल रही है। यह सरकार न तो किसानों को खाद दे पा रही है और न ही लोगों को सुरक्षा। महिलाएं असुरक्षित हैं। यह सरकार किसानों और युवाओं के खिलाफ बल प्रयोग कर रही है।"
हसन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस टिप्पणी पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि पहले कब्रिस्तानों की चारदीवारी के लिए धन का इस्तेमाल किया जाता था। सपा नेता फखरुल हसन चांद ने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान, श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों, दोनों का विकास किया गया और दोनों पर समान रूप से धन खर्च किया गया, लेकिन भारतीय जनता पार्टी विभाजनकारी और नफरत से प्रेरित राजनीति करना चाहती है। इसलिए वे बिना तथ्यों के बोलते हैं।
उन्होंने कहा कि जनता जल्द ही ऐसी नफरत फैलाने वाली सरकार को बदल देगी। भाजपा केवल धर्म, हिंदू-मुस्लिम और मंदिर-मस्जिद के नाम पर राजनीति करती है।"
सपा प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा सरकार प्रमाण पत्र जारी करने में बहुत विश्वास रखती है कि कौन सच्चा नेता है, कौन नहीं, कौन देशभक्त है और कौन देशद्रोही। वे यह तय करने में माहिर हैं और ये सारे प्रमाण पत्र भाजपा कार्यालयों से आते हैं, लेकिन इनकी कोई वैधता नहीं है। अगर इनकी कोई वैधता नहीं है, तो वे जो चाहें कह सकते हैं।