क्या सपा विधायक आरके वर्मा का आरोप सही है कि सरकार ने कोडीन कफ सिरप प्रकरण में शामिल लोगों को संरक्षण दिया?

Click to start listening
क्या सपा विधायक आरके वर्मा का आरोप सही है कि सरकार ने कोडीन कफ सिरप प्रकरण में शामिल लोगों को संरक्षण दिया?

सारांश

सपा विधायक आरके वर्मा ने सरकार के कोडीन कफ सिरप मामले में आरोपों को खारिज किया, कहा कि सरकार ने शामिल लोगों को संरक्षण दिया है। क्या यह मामला गंभीर है?

Key Takeaways

  • सपा विधायक ने कोडीन कफ सिरप मामले में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
  • सरकार को इस मामले में स्पष्टता से जवाब देना चाहिए।
  • कोडीन कफ सिरप के सेवन से युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं।
  • राजनीतिक दबाव के बीच स्वास्थ्य मुद्दों का महत्व बढ़ता जा रहा है।
  • वंदे मातरम् पर भाजपा की मांग पर विवाद बढ़ता जा रहा है।

लखनऊ, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के विधायक आरके वर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उन आरोपों को खारिज किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोडीन कफ सिरप प्रकरण में समाजवादी पार्टी के कई लोग शामिल हैं।

उन्होंने शुक्रवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में आरोप लगाया कि पिछले सात-आठ साल से इस प्रकरण में संलिप्त लोगों को राज्य सरकार ने संरक्षण दिया है। अब जब यह खुलासा हुआ है कि इस सिरप में एक मानक से अधिक सल्फेट पाया गया है, जो दिमाग के नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। इसके चलते देश के कई युवा नशे की चपेट में आ गए हैं, लेकिन सरकार इस बारे में कोई जवाब नहीं देना चाहती।

वर्मा ने कहा कि जो लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त थे, उन्होंने इस कोडीन कफ सिरप का सेवन किया होगा। यदि उनकी मृत्यु हो गई, तो चिकित्सकों ने उनकी बीमारियों को ही मौत का कारण माना होगा। उनके परिजनों को भी यही लगा होगा कि बीमारी ही इसका कारण थी। सरकार ने ऐसे लोगों के पोस्टमार्टम और विसरा टेस्ट नहीं कराए होंगे। इस स्थिति में सरकार यह दावा कैसे कर सकती है कि कोडीन कफ सिरप मामले में किसी की भी मृत्यु नहीं हुई?

उन्होंने कहा कि सरकार केवल अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए समाजवादी पार्टी का नाम ले रही है। जब लोगों को पता चला कि अवैध कारोबार कर अवैध संपत्ति बनाई गई है, तो उनके ठिकानों पर बुलडोजर क्यों नहीं चलाया गया? इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि बुलडोजर का ड्राइवर भी कोडीन कफ सिरप का सेवन करके नशे में धुत्त है। इस अवैध कारोबार को पूरी तरह से छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने सपा सांसद आरके चौधरी के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी। वर्मा के अनुसार, चौधरी के बयान में दो प्रकार के बिंदु हैं: पहला वैज्ञानिक और दूसरा पौराणिक। वैज्ञानिक बिंदु के अनुसार, शवों को जलाने, पराली जलाने और विभिन्न वाहनों के संचालन से निकलने वाला धुआं हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

इसके साथ ही चौधरी के बयान में दूसरा पौराणिक बिंदु भी है, जिसमें यह विश्वास है कि शव जलाना हमारी पौराणिक मान्यता है, जिसका पालन हमारे पूर्वज लंबे समय से कर रहे हैं। संविधान के अनुसार हर व्यक्ति को अपने धर्म के अनुसार परंपराओं का निर्वहन करने का अधिकार है।

समाजवादी पार्टी के नेता ने भाजपा द्वारा वंदे मातरम् पर चर्चा की मांग को हास्यास्पद बताया। उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद है कि भाजपा वंदे मातरम् पर चर्चा की मांग कर रही है। इतिहास खुद इस बात की पुष्टि करता है कि इनके किसी नेता ने आजादी के लिए संघर्ष नहीं किया। ऐसे में यदि ये वंदे मातरम् पर चर्चा की मांग कर रहे हैं, तो यह एक मजाक है। ये लोग संविधान के विरोधी हैं।

Point of View

वे गंभीर हैं। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस मुद्दे की जांच करे और जनता को सच्चाई बताए। यह मामला न केवल स्वास्थ्य से संबंधित है, बल्कि राजनीतिक जिम्मेदारियों से भी जुड़ा है।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

कोडीन कफ सिरप प्रकरण क्या है?
यह प्रकरण उन लोगों के बारे में है जो कोडीन कफ सिरप के सेवन के कारण नशे की चपेट में आए हैं। सरकार पर आरोप है कि उसने इस मामले में शामिल लोगों को संरक्षण दिया है।
आरके वर्मा ने सरकार पर क्या आरोप लगाए हैं?
उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने पिछले सात-आठ सालों से इस प्रकरण में संलिप्त लोगों को संरक्षण दिया है और इस मामले की गंभीरता को छिपाने की कोशिश की है।
इस मामले में सरकार का क्या कहना है?
सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि समाजवादी पार्टी के कई लोग इसमें शामिल हैं।
क्या यह मामला स्वास्थ्य से संबंधित है?
जी हां, यह मामला न केवल राजनीतिक है, बल्कि यह स्वास्थ्य से भी जुड़ा है क्योंकि कोडीन कफ सिरप का सेवन करने वाले युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं।
वंदे मातरम् पर भाजपा की मांग का क्या महत्व है?
भाजपा द्वारा वंदे मातरम् पर चर्चा की मांग को कुछ नेताओं ने हास्यास्पद बताया है, क्योंकि उनका इतिहास स्वतंत्रता संग्राम में योगदान का नहीं है।
Nation Press