क्या सरकार को मनमानी नहीं करनी चाहिए? एसटी हसन का बयान

सारांश
Key Takeaways
- सरकारें जनता की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं।
- नाइंसाफी से असंतोष बढ़ता है।
- धार्मिक स्थलों पर मूर्तियों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
- मतदान में आंतरिक आवाज का महत्व है।
- सरकारों को सतर्क रहना चाहिए।
मुरादाबाद, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में चल रहे आंदोलन पर समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सरकारों को मनमानी नहीं करनी चाहिए और ऐसे निर्णयों से बचना चाहिए जो जनता को तकलीफ देते हैं। उन्होंने भारत सरकार को सतर्क रहने की सलाह दी।
एसटी हसन ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि जब सरकार में बैठे लोग मनमानी तरीके से कार्य करने लगते हैं, जनता की चिंताओं को नजरअंदाज करते हैं और ऐसे निर्णय लेते हैं जिनसे जनता को कठिनाई होती है, तो लोग इसे केवल एक निश्चित सीमा तक ही सहन कर सकते हैं। उन्होंने श्रीलंका और बांग्लादेश की स्थिति का उदाहरण दिया और कहा कि जब जनता के साथ नाइंसाफी होती है, तो इंकलाब आते हैं। उनका मानना है कि पाकिस्तान में भी स्थिति इसी दिशा में बढ़ रही है।
हसन ने जम्मू-कश्मीर में हजरतबल दरगाह से अशोक स्तंभ मिटाने के सवाल पर कहा कि ये धार्मिक स्थल हैं और किसी भी धर्म में मान्यताएं भिन्न होती हैं। उन्होंने कहा कि इस्लाम में मूर्तियों का कोई स्थान नहीं है और मस्जिदों में ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए जो इस्लाम के अनुयायियों को तकलीफ दें।
उपराष्ट्रपति चुनाव पर उन्होंने कहा कि मतदान गुप्त होता है लेकिन कई बार सदस्यों को अपनी पार्टी के प्रति बाध्यता होती है। उन्होंने कहा कि अगर वोट आंतरिक आवाज पर दिया जाएगा, तो इंडिया गठबंधन जीतेगा, अन्यथा एनडीए जीत जाएगा।