क्या केरल के नेता प्रतिपक्ष सतीशन ने सीएम विजयन पर ‘कुशासन’ का आरोप लगाया?

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क्या केरल के नेता प्रतिपक्ष सतीशन ने सीएम विजयन पर ‘कुशासन’ का आरोप लगाया?

सारांश

केरल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष वी.डी. सतीशन ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री लोकतांत्रिक विरोधों को नजरअंदाज कर रहे हैं और विकास निर्णयों में जलवायु संवेदनशीलता की अनदेखी कर रहे हैं। इस मुद्दे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।

Key Takeaways

  • सतीशन ने सीएम विजयन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
  • जलवायु संवेदनशीलता को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
  • यूडीएफ के नेतृत्व वाले प्रोजेक्ट के खिलाफ आंदोलन का समर्थन किया गया।
  • राजनीतिक विवादों में लोकतंत्र की मजबूती आवश्यक है।

कोच्चि, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष वी.डी. सतीशन ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर कड़ा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री लोकतांत्रिक विरोधों को तुच्छ मानते हैं, गंभीर आरोपों का सामना कर रहे पार्टी नेताओं को संरक्षण देते हैं और विकास संबंधी निर्णयों में राज्य की जलवायु संवेदनशीलता को नजरअंदाज कर रहे हैं।

सतीशन ने मुख्यमंत्री की हाल की प्रतिक्रिया को “चौंकाने वाला और अत्यंत निम्न स्तर का” बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह उत्तर चुनावी माहौल में समर्थकों को खुश करने के लिए सीएम कार्यालय में किसी के द्वारा लिखा गया होगा।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की सोच अब “मोदी सरकार” के करीब हो गई है, क्योंकि वे सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों को विनाश के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। उनका कहना था कि एक कम्युनिस्ट नेता द्वारा ऐसा रुख अपनाना “मार्क्सवाद से बुर्जुआ राजनीति की ओर झुकाव” दर्शाता है।

यूडीएफ के नेतृत्व वाले के-रेल जैसे प्रोजेक्ट्स के खिलाफ आंदोलनों का बचाव करते हुए, सतीशन ने बताया कि इनका आधार पर्यावरण और जलवायु संबंधी चिंताएं हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि केरल देश के सबसे जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है और ऐसे किसी भी विकास कार्य, जिसमें पर्यावरणीय प्रभाव की अनदेखी हो, जैसे के-रेल के तहत प्रस्तावित बांध, आपदा ला सकते हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री “शासन के विचार में 25 साल पीछे” हैं। सतीशन ने कहा कि सरकार पर यौन दुराचार की शिकायतों के निपटारे में “दोहरे मापदंड” अपनाने का आरोप लगाया। पूर्व माकपा विधायक पी.टी. कुन्हुमोहम्‍मद के खिलाफ याचिका 27 नवंबर को मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंची, लेकिन इसे 2 दिसंबर को पुलिस को भेजा गया और मामला 8 दिसंबर को दर्ज हुआ।

सतीशन ने पूछा, “शिकायत को 13 दिन तक दबाकर क्यों रखा गया?” उनका कहना था कि कांग्रेस नेताओं के खिलाफ शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई होती है, जबकि माकपा नेताओं के मामलों में जानबूझकर देरी की जाती है।

गेल पाइपलाइन विरोध पर भी सतीशन ने मुख्यमंत्री को घेरा। उन्होंने कहा कि सरकार ने मुआवजा दस गुना बढ़ाने की मांग तभी मानी जब आंदोलन तेज हुआ, इसलिए विरोध का मजाक उड़ाना पूरी तरह “पाखंड” है।

जमात-ए-इस्लामी द्वारा मौजूदा चुनाव में यूडीएफ को समर्थन देने के मुद्दे पर सतीशन ने कहा कि यही संगठन 42 वर्षों तक माकपा का भी समर्थक रहा है और पिनाराई विजयन सहित कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने इसके साथ मंच साझा किया है।

उच्च शिक्षा संकट पर उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में नौ विश्वविद्यालयों में कुलपति नहीं हैं, जिसका कारण राज्यपाल और सरकार के बीच लंबे समय से चल रहा टकराव है।

Point of View

लेकिन यह भी आवश्यक है कि सभी पक्षों को अपनी बात कहने का मौका मिले। इससे लोकतंत्र की मजबूती बढ़ती है।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

सतीशन ने मुख्यमंत्री पर कौन-कौन से आरोप लगाए?
सतीशन ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री लोकतांत्रिक विरोधों को तुच्छ समझते हैं और गंभीर आरोपों का सामना कर रहे पार्टी नेताओं को बचाते हैं।
केरल में जलवायु संवेदनशीलता के मुद्दे पर क्या कहा गया?
सतीशन ने चेतावनी दी कि केरल देश के सबसे जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है और विकास कार्यों में पर्यावरणीय प्रभाव की अनदेखी खतरनाक हो सकती है।
क्या सतीशन ने किसी विशेष प्रोजेक्ट का उल्लेख किया है?
हां, उन्होंने यूडीएफ के नेतृत्व वाले के-रेल प्रोजेक्ट का उल्लेख किया और इसके खिलाफ आंदोलनों का समर्थन किया।
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