क्या सतना में चार बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने पर कार्रवाई की गई है?
सारांश
Key Takeaways
- सतना में चार बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने का मामला
- जांच समिति का गठन
- स्वास्थ्य मंत्री का बयान
- थैलीसीमिया से ग्रस्त बच्चों की स्थिति
- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता
भोपाल, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के सतना जिले में चार बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि यह समिति प्रमुख सचिव की निगरानी में कार्य करेगी।
वास्तव में, सतना जिले में चार बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने के कारण एचआईवी होने का मामला प्रकाश में आया है। स्वास्थ्य मंत्री शुक्ल ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि चार में से एक बच्चे के माता-पिता एचआईवी संक्रमित हैं, जबकि अन्य तीन बच्चों की जानकारी एकत्र की जा रही है। ये बच्चे थैलीसीमिया से ग्रसित हैं, जिन्हें हर महीने दो से तीन बार रक्त चढ़ाया जाता है। जांच की जाएगी कि रक्त किस ब्लड बैंक या अस्पताल के माध्यम से दिया गया था।
स्वास्थ्य मंत्री शुक्ल ने राज्य सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियों के दौरान इस मामले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जांच समिति यह पता लगाएगी कि यह घटना कैसे हुई। यह मामला स्वास्थ्य विभाग द्वारा उजागर किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार का संकल्प है कि प्रदेश के सभी नागरिकों को सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जाएं।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की बात की। शासकीय मेडिकल कॉलेजों की संख्या 14 से बढ़कर 19 हो गई है, और निजी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 12 से 14 हो गई है। नए मेडिकल कॉलेज दमोह, बुधनी और छतरपुर में अगले शैक्षणिक सत्र से प्रारंभ किए जाएंगे। इसके साथ ही अन्य जिलों में भी मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की जा रही है।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि प्रदेश में देहदान करने वाले 38 नागरिकों को मरणोपरांत गार्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मानित किया गया है। एयर एम्बुलेंस सेवा के माध्यम से 109 गंभीर रोगियों को समय पर उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
उन्होंने आगामी तीन वर्षों के कार्ययोजना के तहत राज्य सरकार का लक्ष्य वर्ष 2028 तक सभी निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों का संचालन, नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, एमबीबीएस एवं पीजी सीटों में वृद्धि, विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती, सिविल अस्पतालों में डायलिसिस और अन्य सुविधाओं का विस्तार करना है।