क्या सतना में बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने की घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाए?
सारांश
Key Takeaways
- सतना में बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने का मामला गंभीर है।
- तीन कर्मचारियों को निलंबित किया गया है।
- जांच समिति का गठन किया गया है।
- स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठे हैं।
- कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को घेरा है।
भोपाल, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के सतना जिले में चार बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस मामले में ब्लड बैंक प्रभारी सहित तीन कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। पहले स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
वास्तव में, सतना जिले में थैलीसीमिया से पीड़ित चार बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने के कारण एचआईवी होने का मामला सामने आया था, जिस पर राज्य सरकार ने सीईओ आयुष्मान भारत डॉ. योगेश भरसट की अध्यक्षता में एक सात सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। इस समिति की प्राथमिक जांच रिपोर्ट अब आ चुकी है।
आधिकारिक तौर पर शुक्रवार को दी गई जानकारी के अनुसार, जांच समिति के प्रारंभिक निष्कर्षों के आधार पर जिला चिकित्सालय सतना के ब्लड बैंक प्रभारी और दो लैब टेक्नीशियनों को निलंबित किया गया है। निलंबित अधिकारियों में डॉ. देवेन्द्र पटेल (पैथोलॉजिस्ट एवं ब्लड बैंक प्रभारी), राम भाई त्रिपाठी और नंदलाल पांडे (लैब टेक्नीशियन) शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, जिला चिकित्सालय सतना के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्हें जारी सूचना पत्र के संदर्भ में लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए गए हैं। स्पष्टीकरण समाधानकारक न होने की स्थिति में उनके विरुद्ध कड़ी विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
सत्य यह है कि राज्य के सतना जिले में बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने से स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल उठे हैं और कांग्रेस ने इस मामले में प्रदेश सरकार को घेरा है। मामले के प्रकाश में आने पर सरकार ने भी कदम उठाए और राज्य स्तरीय समिति का गठन डॉ. योगेश भरसट की अध्यक्षता में 16 दिसंबर को किया गया था। समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की गई है।