क्या सऊदी गायक ने अपनी मधुर आवाज में गाकर जीता भारतीयों का दिल?

सारांश
Key Takeaways
- हिंदी दिवस का आयोजन सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है।
- सऊदी अरब में भारतीय समुदाय की सक्रियता।
- सऊदी मित्रों का हिंदी भाषा के प्रति प्रेम।
- सुल्तान मैमनी की प्रस्तुति ने सभी का दिल जीत लिया।
- हिंदी भाषा सांस्कृतिक सेतु का काम करती है।
रियाद, 16 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी दिवस और हिंदी पखवाड़ा के अवसर पर भारतीय दूतावास में सोमवार, 15 सितंबर को एक शानदार और विस्तृत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारतीय समुदाय के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। कार्यक्रम में भारतीय छात्रों और छात्राओं ने अपनी विविध और रोचक प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। वहीं, सऊदी मित्रों की विशेष सहभागिता ने कार्यक्रम की शोभा को और बढ़ा दिया।
भारतीय विद्यार्थियों ने कविता-पाठ, नाटक, गीत और भाषण जैसी विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया, जिससे पूरे वातावरण में हिंदी की मिठास और महत्व का संदेश गूंज उठा। सऊदी मित्रों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। उन्होंने हिंदी गीत और भाषण प्रस्तुत किए, जो सभी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने। खासकर सऊदी मित्र सुल्तान मैमनी ने लोकप्रिय गीत 'फिर भी दिल है हिंदुस्तानी' गाकर उपस्थित सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति ने भारत और सऊदी अरब के बीच सांस्कृतिक सौहार्द और मित्रता को उजागर किया।
इस अवसर पर राजदूत महोदय ने हिंदी पखवाड़े के तहत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया। इन प्रतियोगिताओं का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय भारतीय स्कूलों और दूतावास के संयुक्त प्रयास से किया गया था। विजेताओं को प्रमाणपत्र और पुरस्कार प्रदान कर उनकी प्रतिभा की सराहना की गई।
कार्यक्रम की संकल्पना और पर्यवेक्षण दूतावास की काउंसलर सुश्री मनुस्मृति द्वारा किया गया। उन्होंने हिंदी दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, साहित्य और भावनाओं का जीवंत प्रतीक है। वहीं, कार्यक्रम का सफल संचालन प्रथम सचिव श्री ऋषि त्रिपाठी ने किया। उनकी प्रभावी प्रस्तुति शैली और उत्साह ने पूरे आयोजन को और भी जीवंत बना दिया।
इस अवसर पर वक्ताओं ने हिंदी के महत्व पर बल देते हुए कहा कि हिंदी आज न केवल भारत की, बल्कि विश्व की भी एक प्रमुख भाषा बन चुकी है। प्रवासी भारतीयों और स्थानीय समुदाय की सहभागिता यह दर्शाती है कि हिंदी एक सेतु की तरह विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों को जोड़ती है।