क्या सावन शिवरात्रि पर निशिता काल में शिव पूजा करने से जीवन की हर मुश्किल दूर हो सकती है?

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क्या सावन शिवरात्रि पर निशिता काल में शिव पूजा करने से जीवन की हर मुश्किल दूर हो सकती है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि सावन शिवरात्रि पर निशिता काल में की गई शिव पूजा आपके जीवन की समस्याओं को दूर कर सकती है? जानें इस दिन विशेष उपाय और पूजा विधि।

Key Takeaways

  • श्रावण मास में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है।
  • निशिता काल में पूजा करना अत्यंत लाभकारी है।
  • कुंवारी लड़कियों और विवाहित महिलाओं को विशेष लाभ मिलता है।
  • शिव पूजा के लिए सही विधि का पालन करें।
  • भगवान शिव की कृपा से जीवन की कठिनाइयाँ कम होती हैं।

नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण मास की मासिक शिवरात्रि बुधवार को है। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन सूर्य देव कर्क राशि में और चंद्र देव मिथुन राशि में रहेंगे।

पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल दोपहर के 12 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 02 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। श्रावण मास की शिवरात्रि शिव भक्तों के लिए बेहद खास है। श्रावण चतुर्थी मुहूर्त 23 की सुबह 4 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 24 की सुबह 02 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।

हर माह की कृष्ण चतुर्थी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस दौरान शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा निशिता काल में की जाती है।

मान्यता है कि कुंवारी लड़कियां मासिक शिवरात्रि का व्रत रखें तो महादेव की कृपा से उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होती है। वहीं, विवाहित महिलाएं इस व्रत को रखती हैं तो वैवाहिक जीवन बेहतर होता है।

शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इन्द्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती तथा रति ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था। जो श्रद्धालु मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहते हैं, वे इसे महाशिवरात्रि से आरम्भ करके एक वर्ष तक निरन्तर कर सकते हैं।

मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से जीवन की मुश्किलें कम होती हैं। शिवरात्रि पूजन मध्य रात्रि के समय किया जाता है। मध्य रात्रि को निशिता काल के नाम से जाना जाता है तथा यह दो घटी के लिए प्रबल होती है।

मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करें, गंगाजल से अभिषेक करें और बिल्वपत्र, चंदन, अक्षत, फल और फूल चढ़ाएं। भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र के जाप से भी लाभ मिलता है। 11 बार रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करें। शिवलिंग के सम्मुख बैठकर राम-राम जपने से भी भोलेनाथ की कृपा बरसती है।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि धार्मिक अवसर हमें एकजुट करते हैं और आत्मिक शांति प्रदान करते हैं। शिवरात्रि का महत्व न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि यह समाज में सकारात्मकता का संचार भी करता है।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

सावन शिवरात्रि पर पूजा का महत्व क्या है?
सावन शिवरात्रि पर पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है।
निशिता काल में पूजा करने का क्या लाभ है?
निशिता काल में की गई पूजा से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
क्या विवाहित महिलाएं भी इस व्रत का पालन कर सकती हैं?
जी हाँ, विवाहित महिलाएं इस व्रत को रखकर अपने वैवाहिक जीवन में सुधार ला सकती हैं।
क्या कुंवारी लड़कियों को भी इस व्रत का लाभ मिलता है?
हां, कुंवारी लड़कियां इस व्रत को रखकर अच्छे वर की प्राप्ति कर सकती हैं।
मासिक शिवरात्रि की पूजा कैसे करनी चाहिए?
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर शिवलिंग का अभिषेक करें और पंचाक्षर मंत्र का जाप करें।