क्या शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों ने वित्त वर्ष 2026 की सितंबर तिमाही में लोन ग्रोथ में 11.3 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की?
सारांश
Key Takeaways
- 11.3 प्रतिशत की लोन ग्रोथ शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों में देखी गई।
- रिटेल और एमएसएमई लेंडिंग में तेजी का असर।
- पब्लिक सेक्टर बैंकों ने 14.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की।
- डिपॉजिट में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- नेट इंटरेस्ट मार्जिन 3.13 प्रतिशत रहा।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों ने वित्त वर्ष 2026 की सितंबर तिमाही में नेट एंडवांसेज में सालाना आधार पर 11.3 प्रतिशत की वृद्धि की। यह वृद्धि रिटेल और एमएसएमई लेंडिंग में तेजी के कारण हुई है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में सामने आई है।
केयरएज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रिटेल और एमएसएमई सेगमेंट में क्रेडिट ग्रोथ फिर से शुरू हो गई है, हालाँकि फास्टर लेंडिंग रेट ट्रांसमिशन और धीमी डिपॉजिट रीप्राइसिंग के कारण मार्जिन पर दबाव बना रहा।
शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों में पब्लिक सेक्टर बैंकों ने एडवांसेज में सालाना आधार पर 14.5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जबकि प्राइवेट सेक्टर बैंकों ने 9.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की।
इसी बीच, पब्लिक सेक्टर बैंकों में डिपॉजिट में 11 प्रतिशत और प्राइवेट बैंकों में 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। टर्म डिपॉजिट में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट रेश्यो 37.4 प्रतिशत पर पहुँच गया, जो कि एक साल पहले 38.5 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में स्थिर लोन ग्रोथ के साथ हल्के एनआईएम दबाव के साथ प्रदर्शन स्थिर रहा। इसे त्योहारों से जुड़ी गाड़ियों की मांग, जीएसटी रेट कट और बढ़े हुए बॉंड यील्ड का समर्थन मिला।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का वेटेड एवरेज लेंडिंग रेट 9.32 प्रतिशत रहा, जबकि एवरेज यील्ड 8.80 प्रतिशत दर्ज की गई। यह रेट कट के बाद तेज लोन रीप्राइसिंग को दर्शाता है।
केयरएज रेटिंग्स का अनुमान है कि फेस्टिव खर्च, जीएसटी लाभ और बढ़ते क्रेडिट कार्ड तथा कंज्यूमर-ड्यूरेबल लिंक्ड प्रोडक्ट्स के कारण वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही में लोन की मांग मजबूत होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों के लिए इस तिमाही में सालाना आधार पर नेट इंटरेस्ट मार्जिन 21 बेसिस पॉइंट घटकर 3.13 प्रतिशत रह गया।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, इस गिरावट का मुख्य कारण डिपॉजिट रेट में धीमे एडजस्टमेंट की तुलना में लेंडिंग रेट में कटौती का तेजी से ट्रांसमिशन और अधिक यील्ड वाले सेगमेंट में कम क्रेडिट ग्रोथ बताया गया है।