क्या दिन में कितनी बार और कब-कब पीना चाहिए पानी, आयुर्वेद में बताया गया सही समय?
सारांश
Key Takeaways
- सुबह उठकर गुनगुना पानी पीना चाहिए।
- भोजन से पहले हल्का पानी लेना फायदेमंद है।
- भोजन के बाद 1 घंटे बाद पानी पीना उचित है।
- रात में कम पानी पीने का प्रयास करें।
- पानी घूंट-घूंट करके पीना चाहिए।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मानव शरीर का 40% हिस्सा पानी से बना है, इसलिए जल हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। पानी मस्तिष्क, दिल, मांसपेशियों और पाचन को सही ढंग से कार्य करने में सहायता करता है।
शरीर में पानी की कमी कई बीमारियों का कारण बन सकती है। कुछ लोग दिनभर पानी पीते हैं, लेकिन फिर भी यह उनके लिए अमृत की बजाय बीमारी का कारण बन जाता है। पानी का सही समय और तरीका होना आवश्यक है, क्योंकि गलत तरीके से पानी पीने से कई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
सबसे पहले, पानी उषाकाल में पीना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में पिया गया जल अमृत के समान होता है और यह पेट और आंतों को साफ करने में मदद करता है। सुबह उठकर कम से कम 1 पूरा गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए। यह पानी रातभर जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होता है।
भोजन से पहले हल्का गुनगुना पानी पिया जा सकता है। 1 घंटे पहले पिया गया पानी पाचन को सुधारता है और भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है।
भोजन के साथ पानी पीना अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन सीमित मात्रा में लिया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, खाने के समय 2-4 घूंट गुनगुना पानी लेना चाहिए। ठंडा पानी पाचन में बाधा डाल सकता है।
भोजन के बाद पानी लगभग 1 घंटे बाद पीना चाहिए। तुरंत पिया गया पानी विष के समान होता है, जो पाचन क्षमता को कम करता है।
शाम के समय अधिक पानी पीने से बचें, क्योंकि यह रात की भूख को प्रभावित कर सकता है। सूर्यास्त के बाद कम और गुनगुना पानी पीना चाहिए।
पानी पीने का सही तरीका यह है कि इसे आराम से बैठकर और घूंट-घूंट करके पीना चाहिए। जब प्यास लगे तभी पानी पिएं और ठंडा पानी पीने से बचें।