क्या एससीओ महासचिव ने एक-चीन सिद्धांत पर पुनः जोर दिया?
सारांश
Key Takeaways
- एससीओ एक-चीन सिद्धांत का समर्थन करता है।
- महासचिव ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर दिया।
- बाहरी हस्तक्षेप का विरोध संगठन के मूल सिद्धांतों में शामिल है।
बीजिंग, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शांगहाई सहयोग संगठन (एससीओ) के महासचिव नुर्लान येर्मेकबायेव ने बुधवार को एक साक्षात्कार में बताया कि संगठन संयुक्त राष्ट्र और एससीओ चार्टर के सिद्धांतों का पालन करते हुए, चीनी सरकार की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के प्रयासों का निरंतर समर्थन करेगा, और किसी भी बाहरी ताकत द्वारा संप्रभु राष्ट्रों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का विरोध करेगा।
येर्मेकबायेव ने इस बात पर जोर दिया कि एससीओ ने 2002 से अपने दस्तावेजों में एक-चीन सिद्धांत को स्पष्ट रूप से शामिल किया है, जिसमें यह पुष्टि की गई है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार समस्त चीन की एकमात्र कानूनी सरकार है और थाईवान चीन का अभिन्न अंग है।
उन्होंने 2025 में एससीओ थ्येनचिन शिखर सम्मेलन में अपनाए गए रणनीतिक दस्तावेज और थ्येनचिन घोषणा पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि सदस्य देश दोहरे मानकों का विरोध करते हैं, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के मानदंडों का कड़ाई से पालन करते हैं, और सदस्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के किसी भी प्रयास को खारिज करते हैं।
महासचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में अहस्तक्षेप एससीओ के मूलभूत सिद्धांत हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की स्थिरता की आधारशिला हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)