क्या शंकर घोष ने हाथ टूटने के बावजूद नागराकाटा में बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री बांटी?

सारांश
Key Takeaways
- शंकर घोष का साहस प्रेरणादायक है।
- बाढ़ राहत सामग्री का वितरण महत्वपूर्ण है।
- राजनीतिक तनाव के बीच मानवता की सेवा आवश्यक है।
- तृणमूल कांग्रेस पर आरोप गंभीर हैं।
- उत्तर बंगाल की स्थिति चिंताजनक है।
जलपाईगुड़ी, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर बंगाल के बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच, सिलीगुड़ी के भाजपा विधायक शंकर घोष ने एक बार फिर अद्वितीय साहस का प्रदर्शन किया। हाल ही में हुए एक हमले में उनका हाथ टूट गया था, फिर भी उन्होंने शनिवार को राहत सामग्री वितरण कार्यक्रम को जारी रखा।
इससे पहले, 6 अक्टूबर को, नागराकाटा ब्लॉक के बामनडांगा क्षेत्र में राहत सामग्री बांटते समय उन पर और मालदा उत्तर के सांसद खगेन मुर्मू पर हमला हुआ था। इस घटना में मुर्मू को गंभीर चोटें आईं, जबकि घोष का हाथ टूट गया।
घोष ने अस्पताल से छुट्टी मिलते ही अपने टूटे हाथ के साथ नागराकाटा लौटकर बाढ़ पीड़ितों के साथ संपर्क साधा। उन्होंने नागराकाटा ब्लॉक के कई प्रभावित गांवों का दौरा किया और विधायक पूनम वेंगरा के साथ मिलकर राहत सामग्री का वितरण किया। लगभग 500 परिवारों को चावल, दाल, तेल, नमक जैसी खाद्य सामग्री के साथ-साथ कंबल, दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुएं वितरित की गईं। इस दौरान, शंकर घोष ने संवाददाताओं से कहा, "हमारा संकल्प है कि बाढ़ की इस विपदा में कोई परिवार अकेला न पड़े। चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, हम पीड़ितों के साथ खड़े रहेंगे।"
घोष ने राहत वितरण के दौरान अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, "तृणमूल कांग्रेस आम जनता को राहत नहीं मिलने दे रही है। अन्य पार्टियों के नेताओं पर हमले करवाए जा रहे हैं। यहां तक कि भाजपा के कार्यों में भी बाधा डाली जा रही है। यह 'जंगल राज' का नंगा चेहरा है।" उन्होंने टीएमसी पर आरोप लगाया कि वे केवल फोटो सेशन के लिए आते हैं, लेकिन वास्तविक मदद से दूर रहते हैं।
घोष ने कहा, "हम केंद्र सरकार से और सहायता की मांग करेंगे। 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले, बंगाल की जनता सच्चाई समझेगी।"
ज्ञातव्य है कि उत्तर बंगाल में भारी बारिश और बाढ़ ने हजारों लोगों को प्रभावित किया है। जलपाईगुड़ी जिले में सैकड़ों घर बह गए और फसलें बर्बाद हो गईं। नागराकाटा जैसे दूरदराज क्षेत्रों में राहत पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है।
—राष्ट्र प्रेस
एससीएच