क्या शेखर कपूर ने बिजनेस वर्ल्ड को छोड़कर सिनेमा में नई पहचान बनाई?
सारांश
Key Takeaways
- शेखर कपूर ने बिजनेस से सिनेमा की ओर कदम रखा।
- उन्होंने 'मासूम' जैसी सफल फिल्म का निर्देशन किया।
- उनकी फिल्में मजबूत कहानियों और किरदारों के लिए जानी जाती हैं।
- उन्हें 2000 में पद्मश्री सम्मान मिला।
- उनका करियर प्रेरणादायक है।
मुंबई, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अक्सर यह माना जाता है कि फिल्म निर्देशक बनने के लिए सिनेमा के क्षेत्र में बचपन से ही रहना जरूरी है, लेकिन शेखर कपूर ने इस धारणा को पूरी तरह से बदलकर दिखा दिया। उनकी मेहनत और कौशल ने उन्हें दर्शकों के दिलों में एक खास जगह दिलाई। शुरुआत में वे बॉलीवुड से काफी अलग रास्ते पर थे। उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का निर्णय लिया और एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में कार्य किया।
शेखर कपूर ने इस पेशे को अपनाया, लेकिन उनकी किस्मत ने उन्हें एक ऐसा मार्ग दिखाया जिसने उन्हें भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई।
शेखर कपूर का जन्म 6 दिसंबर 1945 को लाहौर में हुआ। उनका परिवार पंजाबी हिंदू था। उनकी ज़िंदगी की शुरुआत कई चुनौतियों से भरी रही। उनके माता-पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन शेखर का हमेशा से कला और अभिनय की ओर झुकाव था। बचपन से ही उन्हें फिल्में और कहानियों में गहरी रुचि थी।
दिल्ली से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, शेखर ने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान उन्होंने इंग्लैंड जाने का निर्णय लिया और 22 वर्ष की आयु में चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने ब्रिटेन में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में कार्य किया। यह वह समय था जब शेखर का करियर पूरी तरह से व्यवसाय और लेखा की दुनिया में था, लेकिन फिल्मों का सपना उनके मन में हमेशा जीवित था।
शेखर कपूर ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1975 में फिल्म 'जान हाजिर है' से की। हालांकि, अभिनय में उन्हें वो सफलता नहीं मिली जिसकी उन्हें चाह थी। इसी दौरान उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाने का निर्णय लिया। 1983 में उन्होंने फिल्म 'मासूम' का निर्देशन किया, जिसने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। यह फिल्म एक छोटे लड़के की कहानी थी जो अपनी सौतेली मां से प्यार और स्वीकृति पाने की कोशिश करता है। इसके बाद, 1987 में उन्होंने 'मिस्टर इंडिया' बनाई, जो एक सुपरहिट साबित हुई और अनिल कपूर के करियर को नई ऊंचाइयों पर ले गई।
शेखर कपूर ने 1994 में 'बैंडिट क्वीन' बनाई, जो फूलन देवी के जीवन पर आधारित थी। यह फिल्म अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराही गई और कई पुरस्कार जीते। इसके बाद, 1998 में उन्होंने ऐतिहासिक फिल्म 'एलिजाबेथ' बनाई, जो ब्रिटिश रानी एलिजाबेथ प्रथम के जीवन पर आधारित थी। इस फिल्म ने उन्हें बाफ्टा और गोल्डन ग्लोब जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान दिलाए। 2007 में उन्होंने 'एलिजाबेथ: द गोल्डन एज' बनाई, जो पहले भाग का सीक्वल थी। इसके अलावा, 2002 में उन्होंने 'द फोर फेदर्स' और 2022 में ब्रिटिश रोमांटिक कॉमेडी 'व्हाट्स लव गॉट टू डू विद इट?' का निर्देशन भी किया।
शेखर कपूर ने न केवल बॉलीवुड में बल्कि अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई। उनकी फिल्में कहानी कहने की कला और मजबूत किरदारों के लिए जानी जाती हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2000 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी उनके नाम हैं।