क्या शिक्षा बोर्डों और सीए इंस्टीट्यूट ने कॉमर्स शिक्षा पर महत्वपूर्ण चर्चा की?
सारांश
Key Takeaways
- कॉमर्स शिक्षा को मजबूत करने का प्रयास
- एनईपी-2020 का समावेश
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग
- प्रोजेक्ट वाणिज्य की पहल
- वित्तीय साक्षरता का विकास
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (आईसीएआई) ने एक राष्ट्रीय संवाद आयोजित किया। इसमें शिक्षा बोर्डों और सीए इंस्टीट्यूट के अधिकारियों ने कॉमर्स शिक्षा को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। इस चर्चा में एनईपी-2020 को कॉमर्स शिक्षा से जोड़ना, नए युग की व्यापारिक भूमिकाओं के लिए भविष्य तैयार प्रतिभा की तैयारी और शिक्षण व मूल्यांकन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बढ़ाना शामिल रहा।
कॉमर्स शिक्षा को अधिक प्रयोगात्मक और उद्योग-संरेखित बनाना भी इस संवाद का एक उद्देश्य था। प्रतिभागियों ने सहमति जताई कि प्रारंभिक उम्र में कॉमर्स की अवधारणाओं से परिचय छात्रों में बजटिंग, बचत, निर्णय क्षमता, टीमवर्क और नैतिक आचरण जैसी जीवन कौशलों को विकसित करने में मदद करता है। विभिन्न राज्य शिक्षा बोर्डों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सीए पाठ्यक्रम की अवधारणात्मक मजबूती, प्रायोगिक प्रशिक्षण और उद्योग एक्सपोजर का अनूठा मिश्रण है जिसे विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। कई राज्य शिक्षा बोर्डों ने आईसीएआई के साथ समझौता ज्ञापन करने का प्रस्ताव भी रखा है।
इस समझौते का उद्देश्य प्रोजेक्ट वाणिज्य के अंतर्गत स्कूली स्तर पर कॉमर्स शिक्षा के औपचारिक और संरचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है। इन प्रस्तावित समझौतों में पाठ्यक्रम सहायता, शिक्षक प्रशिक्षण, शैक्षणिक सामग्री विकास और दीर्घकालिक सहयोग शामिल होगा। हाल ही में आईसीएआई ने ‘प्रोजेक्ट वाणिज्य – भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए छात्रों का भविष्य निर्माण’ नामक एक पहल की शुरुआत की थी। यह राष्ट्रीय स्तर की परियोजना स्कूली स्तर से ही कॉमर्स शिक्षा को मजबूत करने और छात्रों में वित्तीय समझ, व्यापारिक जागरूकता तथा उद्यमशीलता का विकास करने पर केंद्रित है।
संस्थान के अनुसार यह पहल प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है। प्रोजेक्ट वाणिज्य में देशभर के 17 राज्यों के शिक्षा बोर्डों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सीए इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष चरणजोत सीए नंदा ने बताया कि प्रोजेक्ट वाणिज्य का उद्देश्य कक्षा 6 से ही छात्रों में वित्तीय साक्षरता, व्यवसायिक समझ, बैंकिंग, टैक्सेशन, मुद्रा प्रबंधन और नैतिक व्यापार प्रथाओं की बुनियादी समझ विकसित करना है।
उन्होंने कहा कि इस पहल के माध्यम से शिक्षा को अधिक व्यावहारिक, प्रासंगिक और भविष्य-उन्मुख बनाया जाएगा। यह परियोजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कौशल-आधारित, अनुभवाधारित और बहुविषयक शिक्षा मॉडल के अनुरूप है। यह 21वीं सदी की आवश्यकताओं के लिए छात्रों को तैयार करती है।
सीए संस्थान का कहना है कि यह पहल भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। प्रोजेक्ट वाणिज्य के माध्यम से आईसीएआई स्कूली शिक्षा प्रणाली में कौशल विकास, वित्तीय समझ और व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देते हुए राष्ट्र-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
बता दें कि आईसीएआई 15 लाख से अधिक सदस्यों और छात्रों के साथ आज विश्व का सबसे बड़ा प्रोफेशनल अकाउंटेंसी संगठन है। भारत में इसके 5 क्षेत्रीय परिषदों और 185 शाखाओं के अलावा विदेशों में भी 54 ओवरसीज चैप्टर और 31 प्रतिनिधि कार्यालय मौजूद हैं।