क्या शिवपुरी में एडीएम का स्टेनो रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया?
सारांश
Key Takeaways
- एडीएम का स्टेनो रंगे हाथों पकड़ा गया।
- शिकायतकर्ता ने रिश्वत की शिकायत लोकायुक्त में दर्ज कराई।
- रिश्वत की राशि 20 हजार रुपए थी।
- प्रशासन में पारदर्शिता की आवश्यकता है।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
शिवपुरी, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में लोकायुक्त ने अपर कलेक्टर (एडीएम) के स्टेनो को पांच हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। स्टेनो ने पैतृक जमीन के दस्तावेजों में सुधार के लिए 20 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की थी। शिकायतकर्ता ने पहले ही 5 हजार रुपए दे दिए थे।
जानकारी के अनुसार, लोकायुक्त में रन्नौद तहसील के सिरपुर चक गांव के निवासी ध्यानेंद्र सिंह पडरैया ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी पैतृक जमीन में नाम दुरुस्तीकरण के लिए एडीएम का स्टेनो मोनू शर्मा रिश्वत मांग रहा है। इस काम के लिए 20 हजार रुपए में सौदा तय हुआ था, जिसमें 15 हजार रुपए पहले ही लिए जा चुके थे और शेष 5 हजार रुपए की मांग की जा रही थी।
गुरुवार को जब शिकायतकर्ता शेष 5 हजार रुपए की रिश्वत देने गया, तब लोकायुक्त ने इस स्टेनो को रंगे हाथों पकड़ लिया। बताया गया है कि पडरैया के पिता मनमोहन सिंह की रन्नौद तहसील के बगोरिया में लगभग 50 बीघा जमीन है। यह जमीन किसी अन्य व्यक्ति ज्ञान सिंह के नाम चढ़ा दी गई थी। जमीन के नाम दुरुस्ती के लिए लगाई गई फाइल एडीएम ऑफिस शिवपुरी पहुंची थी, जहां स्टेनो ने 20 हजार रुपए की मांग की थी।
शिकायतकर्ता के अनुसार, स्टेनो ने कहा था कि यह राशि एडीएम से ऊपर तक जाएगी। ध्यानेंद्र सिंह ने लोकायुक्त को बताया कि पहले 5 हजार रुपए एडवांस थे। इसके बाद 9 दिसंबर10 हजार रुपए और दिए गए, जबकि अंतिम किस्त के रूप में गुरुवार को 5 हजार रुपए देने की बात तय हुई थी। जब ध्यानेंद्र सिंह ने तय रकम स्टेनो मोनू शर्मा को सौंपी, तभी लोकायुक्त की टीम ने मौके पर दबिश देकर उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
लोकायुक्त ग्वालियर के उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) विनोद सिंह कुशवाह ने पत्रकारों को बताया कि एडीएम के स्टेनो मोनू शर्मा को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया है और एफआईआर दर्ज कर ली गई है। उन्होंने बताया कि फरियादी ने अपनी जमीन में नाम सही करने के लिए आवेदन दिया था, इसके एवज में यह राशि मांगी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि अभी स्टेनो का ही नाम सामने आया है, और आगे की जांच में यदि दूसरे अधिकारी या कर्मचारी का नाम आएगा तो उनके खिलाफ भी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।