क्या श्री अच्युतराय स्वामी मंदिर में पवनपुत्र हनुमान और सुग्रीव से जुड़े हैं रहस्यमय तार?

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क्या श्री अच्युतराय स्वामी मंदिर में पवनपुत्र हनुमान और सुग्रीव से जुड़े हैं रहस्यमय तार?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि कर्नाटक के हम्पी में स्थित श्री अच्युतराय स्वामी मंदिर एक पुरातात्विक रहस्य है? इस मंदिर के पत्थरों में छिपे रहस्यों और अद्भुत वास्तुकला के बारे में जानें।

Key Takeaways

  • श्री अच्युतराय स्वामी मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है।
  • यह प्राचीन वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।
  • मंदिर का निर्माण 1534 ईस्वी में हुआ था।
  • यह किष्किंधा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।
  • मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती थी।

नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के हम्पी में एक प्राचीन मंदिर है, जिसमें हर पत्थर के पीछे एक रहस्य छिपा हुआ है। इस मंदिर की वास्तुकला और स्तंभों की निर्माण शैली पर आस्था और विजयनगर शैली का गहरा प्रभाव दिखाई देता है। इसके दीवारों पर चीन और मिस्र की कला भी देखने को मिलती है।

हम बात कर रहे हैं कर्नाटक के हम्पी में स्थित श्री अच्युतराय स्वामी मंदिर की, जहां अब पूजा-पाठ नहीं होता है।

यह मंदिर अपने इतिहास और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह मातंग पहाड़ियों के बीच स्थित है, जहां आसपास की जनसंख्या बहुत कम है। यह अद्भुत मंदिर विजयनगर वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है।

यह मंदिर उन आखिरी भव्य मंदिरों में से एक था, जो विजयनगर साम्राज्य के पतन से पहले यहां बनाए गए थे। कहा जाता है कि इसका निर्माण 1534 ईस्वी में हुआ था और बदलते समय के साथ यहां अलग-अलग शताब्दियों की झलक भी देखने को मिलती है।

यह मंदिर अपने विशाल गोपुरम और बड़े परिसर के लिए जाना जाता है। मंदिर को कई स्तंभों के साथ बनाया गया है। इन स्तंभों पर न केवल हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, बल्कि चीन और मिस्र के व्यापारियों के यहां आने के प्रमाण भी मौजूद हैं।

यह मंदिर भगवान विष्णु के तिरुवेंगलनाथ रूप को समर्पित है। यहां अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं, लेकिन मुख्य देवता के रूप में भगवान विष्णु का पूजा लंबे समय तक होता रहा। आज यह मंदिर रखरखाव के अभाव में खंडहर में तब्दील हो चुका है और पूजा-पाठ भी बंद हैं। यह मंदिर रामायण के पात्र सुग्रीव और बाली से भी जुड़ा हुआ है।

कहा जाता है कि सुग्रीव ने अपने भाई बाली के प्रकोप से बचने के लिए मातंग पहाड़ियों में शरण ली थी और यहीं पर उनकी मुलाकात हनुमान और लक्ष्मण से हुई थी। पुराणों में इस क्षेत्र को किष्किंधा कहा गया है, जो वानरों का क्षेत्र रहा है। बाली का इस क्षेत्र में आना वर्जित था, जिसके कारण सुग्रीव ने मातंग पहाड़ियों की शरण ली थी।

Point of View

बल्कि यह भारतीय वास्तुकला और इतिहास का एक अनमोल खजाना भी है। हमें इसे संरक्षित करने और इसके महत्व को समझने की आवश्यकता है।
NationPress
17/12/2025

Frequently Asked Questions

श्री अच्युतराय स्वामी मंदिर का इतिहास क्या है?
इस मंदिर का निर्माण 1534 ईस्वी में हुआ था और यह विजयनगर साम्राज्य के पतन से पहले के अंतिम भव्य मंदिरों में से एक है।
इस मंदिर का मुख्य देवता कौन है?
यह मंदिर भगवान विष्णु के तिरुवेंगलनाथ रूप को समर्पित है।
किष्किंधा का क्या महत्व है?
किष्किंधा वह क्षेत्र है जहां रामायण के पात्र सुग्रीव और बाली की कहानी जुड़ी हुई है।
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