क्या है श्री श्रृंगरा वल्लभ स्वामी मंदिर: दक्षिण भारत का पहला तिरुपति मंदिर?
सारांश
Key Takeaways
- श्री श्रृंगरा वल्लभ स्वामी मंदिर को पहला तिरुपति मंदिर माना जाता है।
- यहाँ भगवान वेंकटेश्वर की मुस्कुराती प्रतिमा है।
- मंदिर की नींव देवी-देवताओं ने रखी थी।
- यहाँ चमत्कारी कुआं है, जिसे भक्त उपयोग करते हैं।
- मंदिर में अनेक प्राचीन शिलालेख हैं।
नई दिल्ली, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण भारत के तिरुपति बालाजी मंदिर की प्रसिद्धि तो बहुत है, जहां हर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अवश्य जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि तिरुपति बालाजी मंदिर से भी प्राचीन एक और मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित है?
हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के काकीनाडा जिले के निकट स्थित श्री श्रृंगरा वल्लभ स्वामी मंदिर की, जिसे पहला और असली तिरुपति मंदिर माना जाता है। यह मंदिर अपने आप में एक अद्भुत इतिहास समेटे हुए है।
श्री श्रृंगरा वल्लभ स्वामी मंदिर को 'थोली तिरुपति' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है पहला तिरुपति। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ भगवान वेंकटेश्वर की एक मुस्कुराती प्रतिमा है, जो विभिन्न आयु के भक्तों के लिए अलग-अलग रूप में प्रकट होती है। बच्चों के लिए यह बाल रूप में और बड़े भक्तों के लिए बड़े रूप में दर्शन देती है।
मंदिर की प्रतिमा स्वयंभू है, जिसमें शंख और चक्र की दिशा तिरुमला बालाजी से भिन्न है। यहाँ 9000 वर्ष पुरानी मंदिर की नींव स्वयं देवी-देवताओं ने रखी थी। कहा जाता है कि महर्षि नारद ने देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की थी। पहले भगवान वेंकटेश्वर अकेले थे, लेकिन बाद में देवी भूदेवी की स्थापना की गई।
मंदिर में कुछ प्राचीन शिलालेख भी हैं, जो इसके इतिहास को दर्शाते हैं। शिलालेखों पर पुरानी तमिल भाषा में लिखा गया है। मंदिर के प्रांगण में एक चमत्कारी कुआं भी है, जिसके पानी में 15 जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है। भक्त इस पानी का उपयोग प्रसाद बनाने में करते हैं।
यहाँ एक बड़ा मंडपम भी है, जो कई स्तंभों पर खड़ा है, जिन पर भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों की प्रतिमाएँ अंकित हैं।