क्या वोटर लिस्ट में नाम से जुड़े मामले में सोनिया गांधी के खिलाफ याचिका खारिज हो गई?

सारांश
Key Takeaways
- सोनिया गांधी को कोर्ट से मिली राहत।
- याचिका में आरोपों की गंभीरता पर विचार।
- कोर्ट ने जांच की आवश्यकता नहीं समझी।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। अदालत ने गुरुवार को नागरिकता और वोटर लिस्ट में नाम से जुड़े एक मामले में सोनिया गांधी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इससे पहले, अदालत ने इस मामले में बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि सोनिया गांधी ने बिना नागरिकता प्राप्त किए 1980 की वोटर लिस्ट में अपना नाम जोड़वाया।
याचिका में दावा किया गया कि सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी, जबकि उनका नाम 1980 की दिल्ली की वोटर लिस्ट में पहले से था। याचिका में यह प्रश्न उठाया गया था कि 1980 में उनका नाम वोटर लिस्ट में कैसे आ गया, जबकि उन्होंने नागरिकता 1983 में हासिल की थी।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि 1982 में उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया था। याचिकाकर्ता ने पूछा कि 1982 में उनका नाम क्यों हटाया गया और इसके पीछे क्या कारण थे।
इस याचिका में एक गंभीर प्रश्न उठाया गया था कि 1983 में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के बाद 1980 की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम किस आधार पर जोड़ा गया? क्या इसके लिए किसी फर्जी दस्तावेज का सहारा लिया गया था?
याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की थी कि दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वह इस मामले में मुकदमा दर्ज करे और जांच कर स्टेटस रिपोर्ट पेश करे। हालांकि, राऊज एवेन्यू कोर्ट ने किसी भी तरह की जांच की आवश्यकता नहीं समझी और याचिका को खारिज कर दिया।
यह याचिका विकास त्रिपाठी नाम के एक व्यक्ति द्वारा दाखिल की गई थी। बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने गुरुवार शाम करीब 4 बजे इस मामले पर निर्णय सुनाए जाने की बात कही थी। इस मामले में सोनिया गांधी के खिलाफ लगातार प्रश्न उठाए जा रहे थे।