क्या सोनिया गांधी के खिलाफ वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने की रिवीजन पिटीशन है सही?
सारांश
Key Takeaways
- सोनिया गांधी के खिलाफ रिवीजन पिटीशन दायर की गई है।
- कोर्ट में 9 दिसंबर को सुनवाई होगी।
- याचिका में फर्जी दस्तावेजों के उपयोग का आरोप है।
- पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट ने याचिका खारिज की थी।
- मामला राजनीतिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ वोटर लिस्ट में कथित तौर पर बिना नागरिकता प्राप्त किए नाम दर्ज कराने के मामले में शुक्रवार को रिवीजन पिटीशन प्रस्तुत की गई है। यह पिटीशन राऊज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल की गई है। अधिवक्ता विकास त्रिपाठी की ओर से यह पिटीशन दायर की गई है, जिस पर कोर्ट 9 दिसंबर को सुनवाई करेगा।
इससे पूर्व, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सितंबर 2025 में दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच की मांग की गई थी। अब इस आदेश को चुनौती देते हुए रिवीजन पिटीशन पेश की गई है। याचिका में दावा किया गया था कि सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल 1983 को भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी, जबकि उनका नाम 1980 की नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में शामिल था।
याचिका में यह सवाल उठाया गया था कि 1980 की वोटर लिस्ट में उनका नाम कैसे सम्मिलित हुआ। याचिका में यह भी पूछा गया कि जब नागरिकता 1983 में प्राप्त की गई, तो 1980 में वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए कौन से दस्तावेजों का उपयोग किया गया? क्या वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया?
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि 1982 में सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया था और इस हटाए जाने के पीछे की वजहों की भी जांच की मांग की गई थी।
ज्ञात हो कि बिना नागरिकता प्राप्त किए वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के आरोप में सोनिया गांधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की मांग वाली याचिका को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सितंबर में खारिज कर दिया था। अब 9 दिसंबर को राऊज एवेन्यू कोर्ट में होने वाली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि आगे की कानूनी प्रक्रिया क्या दिशा लेती है।