क्या केरल की पहली महिला डीजीपी श्रीलेखा ने तिरुवनंतपुरम निगम चुनाव में जीत हासिल की?
सारांश
Key Takeaways
- श्रीलेखा की जीत भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
- तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा ने सबसे बड़ी पार्टी बनने का दावा किया है।
- श्रीलेखा का चुनावी अभियान विवादों से भरा रहा।
- उनका चुनावी प्रचार आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर सकता है।
- राजनीतिक परिदृश्य में यह बदलाव महत्वपूर्ण है।
तिरुवनंतपुरम, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल की पहली महिला पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रह चुकीं श्रीलेखा ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार के रूप में एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। उन्होंने सस्थामंगलम वार्ड से जीत दर्ज की है।
यह जीत ऐसे समय में हुई है जब तिरुवनंतपुरम नगर निगम पर नियंत्रण के लिए मुकाबला बेहद रोचक मोड़ पर है, जहां तीनों प्रमुख राजनीतिक मोर्चे कड़े संघर्ष में उलझे हैं।
भाजपा ने श्रीलेखा की जीत को राजधानी में वामपंथी सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट फ्रंट को सत्ता से बाहर करने की दिशा में एक मजबूत और प्रतीकात्मक बढ़त के रूप में देखा है।
चुनाव परिणाम रुझानों के मुताबिक, 101 सदस्यीय तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जिसके पास अब तक 34 सीटें हैं। इसके बाद लेफ्ट फ्रंट के पास 20 सीटें और कांग्रेस के पास 16 सीटें हैं। शेष सीटों की गिनती अभी जारी है।
श्रीलेखा इस वर्ष भाजपा में शामिल हुई थीं, जो कई लोगों के लिए एक चौंकाने वाला कदम था। इसके बाद उन्होंने स्थानीय निकाय चुनाव में वार्ड सदस्य के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, जिसने और ज्यादा ध्यान खींचा। उनका पुलिस सेवा में करियर लंबा और प्रतिष्ठित रहा है। वे केरल की पहली महिला अधिकारी थीं, जिन्होंने डीजीपी का सर्वोच्च पद संभाला।
हालांकि, उनका चुनाव अभियान विवादों से अछूता नहीं रहा। मतदान के दिन 9 दिसंबर को श्रीलेखा उस समय विवादों में आ गईं, जब उन्होंने सोशल मीडिया पर एक कथित प्री-पोल सर्वे साझा किया। इस पोस्ट में दावा किया गया था कि तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को बढ़त हासिल है।
इस पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। केरल के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने इसे आदर्श आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि मतदान के दिन प्री-पोल सर्वे के नतीजे प्रकाशित करना या साझा करना चुनाव आयोग के नियमों के तहत पूरी तरह प्रतिबंधित है और यह चुनावी नियमों का गंभीर उल्लंघन है।
विवाद बढ़ने के बाद, श्रीलेखा ने संबंधित पोस्ट को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से हटा लिया था।
ज्ञात हो कि निवर्तमान तिरुवनंतपुरम नगर निगम में 100 वार्डों में से सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट फ्रंट के पास 51 सीटें थीं, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास 35 सीटें थीं। शेष सीटें कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और निर्दलीय उम्मीदवारों के पास थीं।