क्या स्टालिन ने ईपीएस पर मनरेगा के मुद्दे पर सही सवाल उठाए?
सारांश
Key Takeaways
- स्टालिन का आरोप: ईपीएस मनरेगा में नरम रुख रख रहे हैं।
- ग्रामीण मजदूरों की चिंता: ईपीएस की चुप्पी से ग्रामीण मजदूरों पर असर पड़ रहा है।
- केंद्र का रवैया: केंद्र का रवैया भेदभावपूर्ण है।
- राजनीतिक समीकरण: ईपीएस भाजपा के साथ समीकरण के चलते आलोचना से बच रहे हैं।
- संघीय अधिकारों का मुद्दा: मनरेगा केंद्र-राज्य संबंधों का अहम मुद्दा है।
चेन्नई, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को एआईएडीएमके नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी (ईपीएस) पर कड़ा प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में केंद्र द्वारा सुझाए गए परिवर्तनों पर "नरम और अस्पष्ट" रुख रख रहे हैं।
स्टालिन ने कहा कि ईपीएस की हालिया टिप्पणियों में मनरेगा के प्रति न तो कोई स्पष्टता है और न ही दृढ़ता। उन्होंने आरोप लगाया कि एआईएडीएमके नेता तमिलनाडु के ग्रामीण गरीबों के हितों की रक्षा करने के बजाय केंद्र सरकार को नाराज़ न करने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं। स्टालिन ने कहा कि विपक्ष का स्वर जानबूझकर इसलिए हल्का रखा गया है ताकि दिल्ली से टकराव न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ईपीएस यह दावा कर रहे हैं कि मनरेगा के तहत कार्य-दिवस 100 से बढ़ाकर 125 कर दिए गए हैं, लेकिन यह बढ़ोतरी "सिर्फ कागजों तक सीमित" है और जमीनी हकीकत को नहीं दर्शाती। स्टालिन के अनुसार, वास्तविकता में काम का आवंटन घटा है, जिससे राज्य के हजारों लाभार्थी प्रभावित हुए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ईपीएस उन ग्रामीण मजदूरों की परेशानियों से आंखें मूंद रहे हैं जो इस योजना पर निर्भर हैं।
स्टालिन ने आरोप लगाया कि गरीबी उन्मूलन और जनसंख्या नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन के कारण तमिलनाडु को "अपनी उपलब्धियों की सजा" दी जा रही है। उन्होंने जनसंख्या प्रबंधन में सफल राज्यों में संसदीय सीटों को घटाने पर चल रही चर्चाओं का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र का यह रवैया भेदभावपूर्ण और प्रतिकूल है।
मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि ईपीएस ने मनरेगा को वीबीग्रामजी (विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन-ग्रामीण) में बदलने के केंद्र के प्रस्ताव पर चुप्पी साध रखी है। स्टालिन का कहना है कि इस पुनर्गठन का उद्देश्य ग्रामीण रोजगार योजना की मूल गारंटी को कमजोर करना है।
उन्होंने केंद्र पर रोजगार गारंटी का वित्तीय बोझ राज्यों पर डालने की कोशिश का आरोप लगाया और कहा कि इससे मनरेगा की बुनियादी भावना को ठेस पहुंचेगी, क्योंकि यह योजना ग्रामीण मजदूरों के लिए केंद्रीय सुरक्षा कवच के रूप में बनाई गई थी।
स्टालिन ने सवाल उठाया कि यदि इस बदलाव का तमिलनाडु पर गंभीर असर पड़ सकता है, तो ईपीएस ने इसके खिलाफ सार्वजनिक रूप से आवाज क्यों नहीं उठाई। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि यदि पलानीस्वामी केंद्र की योजना को सही मानते हैं तो खुलकर उसका समर्थन करें। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा के साथ राजनीतिक समीकरणों के चलते ईपीएस आलोचना से बच रहे हैं।
मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी सत्तारूढ़ डीएमके और विपक्षी एआईएडीएमके के बीच एक और टकराव का संकेत है, जहां मनरेगा अब संघीय अधिकारों, कल्याणकारी योजनाओं और केंद्र–राज्य संबंधों को लेकर चल रही राजनीतिक बहस का अहम मुद्दा बनता जा रहा है।