क्या हार्ट अटैक के बाद हार्ट फेलियर को कम करने में स्टेम सेल थेरेपी सहायक है?

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क्या हार्ट अटैक के बाद हार्ट फेलियर को कम करने में स्टेम सेल थेरेपी सहायक है?

सारांश

क्या स्टेम सेल थेरेपी हार्ट अटैक के बाद हार्ट फेलियर के खतरे को कम कर सकती है? हाल की एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि इस थेरपी से मरीजों को बड़ा लाभ हो सकता है। जानिए इस अध्ययन के परिणाम क्या कहते हैं!

Key Takeaways

  • स्टेम सेल थेरेपी हार्ट फेलियर के खतरे को कम कर सकती है।
  • यह प्रक्रिया हार्ट अटैक के बाद महत्वपूर्ण हो सकती है।
  • अध्ययन में 396 मरीज शामिल थे।
  • इंटरवेंशन ग्रुप में हार्ट फंक्शन में सुधार पाया गया।
  • हार्ट अटैक के बाद जल्दी उपचार महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। एक नई अध्ययन के अनुसार, जिन मरीजों का दिल कमजोर होता है और जिन्हें हार्ट अटैक के तुरंत बाद स्टेम सेल थेरेपी दी जाती है, उनमें हार्ट फेलियर का खतरा कम होता है।

हार्ट अटैक के बाद हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, अटैक के बाद दिल की मांसपेशियों को काफी नुकसान पहुँचता है, जिससे खून को ठीक से पंप करने की उसकी क्षमता कमजोर हो जाती है।

यह समस्या अचानक (एक्यूट हार्ट फेलियर) या लंबे समय तक चलने वाली हो सकती है। लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, थकान, पैरों में सूजन और दिल की धड़कनों का अनियमित होना शामिल है।

बीएमजे ने इस क्लिनिकल ट्रायल को प्रकाशित किया है। यह अध्ययन बताता है कि स्टेम सेल थेरेपी हार्ट अटैक के बाद मरीजों के इस विशेष समूह के लिए हार्ट फेलियर को रोकने और भविष्य में होने वाले खतरे को कम करने की एक आवश्यक प्रक्रिया हो सकती है।

यूके में क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं सहित एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने हार्ट अटैक के बाद कोरोनरी आर्टरीज में सीधे स्टेम सेल (जिसे इंट्राकोरोनरी इन्फ्यूजन के नाम से जाना जाता है) पहुँचाया और यह जानने की कोशिश की कि क्या अगले तीन साल में हार्ट फेलियर की स्थिति बनती है।

टीम ने कहा, "नतीजे बताते हैं कि यह तकनीक मायोकार्डियल इन्फार्क्शन के बाद हार्ट फेलियर को रोकने और भविष्य के जोखिम को कम करने के लिए एक आवश्यक सहायक प्रक्रिया के रूप में काम कर सकती है।"

इस ट्रायल में ईरान के तीन टीचिंग अस्पतालों में 396 मरीज (औसत उम्र 57-59 साल) शामिल थे, जिन्हें पहले कोई दिल की बीमारी नहीं थी। उन सभी को पहला हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इन्फार्क्शन) आया था।

इनमें से, इंटरवेंशन ग्रुप के 136 मरीजों को स्टैंडर्ड केयर के अलावा, हार्ट अटैक के 3-7 दिनों के अंदर एलोजेनिक व्हार्टन जेली-डेरिव्ड मेसेनकाइमल स्टेम सेल का इंट्राकोरोनरी इन्फ्यूजन दिया गया।

बाकी 260 कंट्रोल ग्रुप के मरीजों को केवल स्टैंडर्ड केयर दी गई।

कंट्रोल ग्रुप की तुलना में, स्टेम सेल के इंट्राकोरोनरी इन्फ्यूजन से हार्ट फेलियर की दर (2.77 बनाम 6.48 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष), हार्ट फेलियर के लिए अस्पताल में दोबारा भर्ती होने की दर (0.92 बनाम 4.20 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष), और कार्डियोवैस्कुलर मौत और हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर के लिए दोबारा भर्ती होने (2.8 बनाम 7.16 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष) की दर पहले से कम हुई।

इस इंटरवेंशन का हार्ट अटैक के लिए अस्पताल में दोबारा भर्ती होने या कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से होने वाली मौत पर सांख्यिकीय रूप से कोई खास असर नहीं पड़ा।

हालांकि, शोधकर्ताओं ने कहा कि छह महीने में, इंटरवेंशन ग्रुप में हार्ट फंक्शन में कंट्रोल ग्रुप की तुलना में काफी ज्यादा सुधार दिखा, साथ ही उन्होंने इस नतीजे की पुष्टि के लिए और ट्रायल की जरूरत पर भी जोर दिया।

Point of View

यह अध्ययन दर्शाता है कि स्टेम सेल थेरेपी एक संभावित समाधान हो सकता है, जो हार्ट अटैक के बाद हार्ट फेलियर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकता है। यह न केवल चिकित्सा क्षेत्र में एक नई दिशा को इंगित करता है, बल्कि मरीजों के लिए बेहतर जीवन की संभावनाएं भी प्रस्तुत करता है।
NationPress
30/10/2025

Frequently Asked Questions

स्टेम सेल थेरेपी क्या है?
स्टेम सेल थेरेपी एक प्रक्रिया है जिसमें स्टेम सेल का उपयोग करके शरीर के क्षतिग्रस्त अंगों या ऊतकों को सुधारने की कोशिश की जाती है।
क्या स्टेम सेल थेरेपी सुरक्षित है?
हालांकि स्टेम सेल थेरेपी के साथ कुछ जोखिम होते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया कई अध्ययनों में सुरक्षित पाई गई है।
हार्ट अटैक के बाद स्टेम सेल थेरेपी कब करनी चाहिए?
हार्ट अटैक के तुरंत बाद 3-7 दिनों के भीतर स्टेम सेल थेरेपी दी जानी चाहिए।
क्या सभी मरीजों को स्टेम सेल थेरेपी की आवश्यकता होती है?
नहीं, यह सभी मरीजों के लिए आवश्यक नहीं है। यह केवल उन मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकती है जिनका दिल कमजोर है।
हार्ट फेलियर के लक्षण क्या हैं?
हार्ट फेलियर के लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, थकान, पैरों में सूजन और दिल की धड़कनों का अनियमित होना शामिल हैं।