क्या झारखंड के प्रखंड कार्यालय में जहर खाने वाले पंचायत सेवक की मौत पर बवाल हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- सुखलाल महतो की मौत ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
- लोगों का धरना दिखाता है कि समाज में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता है।
- सरकार ने इस मामले में कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
- समाज में प्रताड़ना के मामलों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
- आर्थिक मदद की बात भी सामने आई है।
गिरिडीह, 16 जून (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के गिरिडीह जिले के डुमरी प्रखंड में पंचायत सेवक सुखलाल महतो की मौत ने हंगामा खड़ा कर दिया है। उन्होंने बीडीओ और मुखिया (ग्राम प्रधान) के पति समेत चार लोगों पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए कार्यालय परिसर में जहर खा लिया था।
मृतक के शव के साथ सैकड़ों लोगों ने रविवार रात से लेकर सोमवार दोपहर 12.30 बजे तक प्रखंड कार्यालय के सामने धरना दिया।
स्थिति तब और गंभीर हो गई जब डुमरी के विधायक जयराम कुमार महतो भी मृतक के परिवार के लिए न्याय की मांग करते हुए धरने में शामिल हो गए। बाद में उपायुक्त के प्रतिनिधि के रूप में एसडीएम संतोष गुप्ता ने विधायक और मृतक के परिजनों के साथ बातचीत की।
प्रशासन ने आश्वासन दिया कि सुखलाल महतो ने जिन चार लोगों के खिलाफ आरोप लगाए थे, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
मृतक के एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने पर भी सहमति बनी है।
सुखलाल महतो डुमरी प्रखंड के बलथरिया गाँव के पंचायत सेवक थे। उन्होंने डुमरी की बीडीओ अन्वेषा ओना, मुखिया के पति परमेश्वर नायक और रोजगार सेवक अनिल कुमार पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए विधायक के नाम पत्र लिखा था।
इसके बाद 13 जून को उन्होंने कार्यालय परिसर में कीटनाशक का सेवन किया। रांची के रिम्स में इलाज के दौरान 15 जून को उनकी मृत्यु हो गई। घटना के बाद लोग उनके शव के साथ प्रखंड कार्यालय पहुंचे और धरने पर बैठ गए।
घटना की सूचना मिलने पर राज्य सरकार के आदेश पर गिरिडीह के उपायुक्त रामनिवास यादव ने 14 जून को जांच के लिए एक समिति का गठन किया, जिसमें अपर समाहर्ता विजय सिंह बिरुआ, सरिया बगोदर के एसडीएम संतोष कुमार गुप्ता, मुख्यालय डीएसपी नीरज कुमार सिंह और डॉ. रवि महर्षि शामिल हैं।