क्या सुमराय टेटे भारत की हॉकी में एक नई पहचान बना रही हैं?

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क्या सुमराय टेटे भारत की हॉकी में एक नई पहचान बना रही हैं?

सारांश

सुमराय टेटे, जो एक समय की प्रमुख मिडफील्डर थीं, आज झारखंड हॉकी की ब्रांड एंबेसडर हैं। उनकी कहानी संघर्ष और समर्पण की मिसाल है। जानिए उनकी उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में।

Key Takeaways

  • सुमराय टेटे का जन्म झारखंड में हुआ।
  • उन्होंने 2017 में ध्यानचंद पुरस्कार जीता।
  • सुमराय ने 2002 में कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
  • उन्होंने हॉकी से संन्यास के बाद भी खेल के लिए योगदान दिया।
  • वे झारखंड हॉकी की ब्रांड एंबेसडर हैं।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुमराय टेटे, जो देश की सबसे विश्वसनीय मिडफील्डर में से एक मानी जाती थीं, पवेलियन की ओर बढ़ रही थीं। उनका सिर झुका हुआ था, तभी एक पत्रकार ने उन्हें रोककर पूछा, "सुमराय जी, क्या हुआ? आपकी टीम इतनी हताश क्यों नजर आ रही है?"

सुमराय ने एक पल के लिए रुकीं। उनकी आवाज में हल्का संकोच था, लेकिन उनके शब्दों में दृढ़ता झलक रही थी। उन्होंने कहा, "हम तब तक हताश नहीं होते, जब तक अगली सुबह की प्रशिक्षण नहीं छूट जाती। यह हार सिर्फ आज के लिए है। कल फिर उसी मिट्टी पर मिलेंगे, जहां हमने हॉकी स्टिक उठाना सीखा था।"

1979 में झारखंड के सिमडेगा के कसीरा मेरोंगटोली गांव में जन्मी सुमराय टेटे को वर्ष 2017 में ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार 29 अगस्त, 2017 को राष्ट्रीय खेल दिवस पर नई दिल्ली में प्रदान किया गया।

सुमराय टेटे का करियर कई उपलब्धियों से भरा रहा। उन्होंने वर्ष 2002 में आयोजित कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता। उसी वर्ष, उन्होंने जोहांसबर्ग चैंपियंस ट्रॉफी में भी कांस्य पदक अर्जित किया। 2003 में, उन्होंने बुसान एशियन गेम्स में एक और पदक जीता।

उनकी स्वर्णिम यात्रा 2004 में भी जारी रही, जब टीम ने नई दिल्ली में आयोजित एशिया कप में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद, 2006 में मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय टीम ने रजत पदक प्राप्त किया।

अफसोस की बात है कि उनका यह शानदार अंतरराष्ट्रीय सफर 2006 में एक प्रैक्टिस के दौरान घुटने में लगी गंभीर चोट के कारण समाप्त हो गया। इस चोट ने उनके खेलने की क्षमता को प्रभावित किया और फरवरी 2011 में रांची में आयोजित राष्ट्रीय खेलों के समय डॉक्टरों ने उन्हें मैदान पर उतरने से मना कर दिया।

हालांकि, खेल के मैदान से हटने के बाद भी उन्होंने हॉकी से अपना संबंध नहीं तोड़ा। वह 2011 से 2014 तक भारतीय हॉकी टीम की सहायक कोच के रूप में कार्यरत रहीं।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 18 फरवरी 2021 को पूर्व हॉकी कप्तान सुमराय टेटे पर आधारित बुकलेट 'सुमराय टेटे - भारत में युवाओं के लिए एक आदर्श एथलीट के रूप में' का विमोचन किया था।

सुमराय टेटे का खेल जीवन भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन उनकी कहानी एक खिलाड़ी के संन्यास के साथ खत्म नहीं होती। रिटायरमेंट के बाद, उन्होंने खुद को झारखंड और ओडिशा के दूरदराज के इलाकों में हॉकी की नर्सरी को तैयार करने में समर्पित कर दिया।

सुमराय आज भी उसी मिट्टी से जुड़ी हुई हैं, जहां उन्होंने हॉकी स्टिक पकड़ना सीखा था। वर्तमान में वे भारतीय रेलवे से जुड़ी हैं और रांची रेल मंडल में कार्यरत हैं। इसके साथ ही वे झारखंड हॉकी की ब्रांड एंबेसडर की भूमिका भी निभा रही हैं।

Point of View

मैं कह सकता हूँ कि सुमराय टेटे की यात्रा खेल की दुनिया में प्रेरणा का स्रोत है। उनकी उपलब्धियों ने न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश की हॉकी को नई पहचान दी है।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

सुमराय टेटे ने कब ध्यानचंद पुरस्कार प्राप्त किया?
सुमराय टेटे को 29 अगस्त, 2017 को ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सुमराय टेटे का जन्म स्थान क्या है?
सुमराय टेटे का जन्म 1979 में झारखंड के सिमडेगा के कसीरा मेरोंगटोली गांव में हुआ था।
सुमराय टेटे ने किस खेल में स्वर्ण पदक जीता?
सुमराय टेटे ने 2002 में कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
सुमराय टेटे वर्तमान में किस भूमिका में हैं?
सुमराय टेटे वर्तमान में झारखंड हॉकी की ब्रांड एंबेसडर की भूमिका निभा रही हैं।
सुमराय टेटे का हॉकी करियर कब समाप्त हुआ?
उनका हॉकी करियर 2006 में एक चोट के कारण समाप्त हो गया।
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