क्या सुनील छेत्री ने भारत में फुटबॉल को नया मुकाम दिया?

सारांश
Key Takeaways
- सुनील छेत्री का जन्म फुटबॉल के परिवार में हुआ।
- उन्होंने अपनी मेहनत से भारतीय टीम को कई जीत दिलाईं।
- वे भारतीय फुटबॉल के सबसे बड़े गोल स्कोरर हैं।
- छेत्री एक प्रेरणास्त्रोत हैं, विशेषकर युवा खिलाड़ियों के लिए।
- वे कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं।
नई दिल्ली, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुनील छेत्री भारतीय फुटबॉल के सबसे प्रमुख सितारों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर भारतीय टीम को अनेक यादगार जीत दिलाई हैं। उनका समर्पण, फिटनेस और नेतृत्व युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। गोल करने की उनकी अद्भुत क्षमता उन्हें एक 'लीजेंड' बनाती है।
सुनील छेत्री भारतीय फुटबॉल में सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। अगर वैश्विक स्तर पर देखें, तो 152 मैचों में 95 गोल के साथ यह दिग्गज चौथे स्थान पर हैं।
3 अगस्त 1984 को सिकंदराबाद में जन्मे सुनील छेत्री के परिवार में फुटबॉल का गहरा रिश्ता है। उनके पिता केबी छेत्री, जो एक सैनिक थे, फुटबॉल खेलते थे। वहीं, उनकी मां सुशीला नेपाल की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की सदस्य रह चुकी हैं।
पिता की नौकरी के कारण सुनील को अक्सर स्कूल बदलने पड़ते थे, पर फुटबॉल के प्रति उनका प्रेम कभी कम नहीं हुआ।
सुनील छेत्री ने कभी पेशेवर फुटबॉलर बनने का सोचा नहीं था। वे केवल अच्छे कॉलेज में दाखिला पाने के लिए खेलते थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें कुछ और ही राह दिखाई।
जब वे 16 वर्ष के थे और 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्हें कुआलालंपुर में एशियन स्कूल चैंपियनशिप में खेलने का आमंत्रण मिला। यह 2001 का समय था।
मोहन बागान ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें आगामी घरेलू सत्र के लिए अपनी टीम में शामिल कर लिया। इसके बाद उन्होंने ईस्ट बंगाल, जेसीटी और डेम्पो जैसे प्रमुख क्लबों के लिए भी खेला।
साल 2005 में उन्होंने पहली बार सीनियर भारतीय फुटबॉल टीम में खेला, जहां उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अपना पहला गोल किया। 2007 में उन्होंने 'नेहरू कप' में चार गोल करके टीम को ट्रॉफी जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
छेत्री ने 2008 के 'एफसी चैलेंज कप' में हैट्रिक बनाई और कुल चार गोल करके भारत को खिताब दिलाया। यहां से वे भारतीय फुटबॉल के 'पोस्टर ब्वॉय' बन गए।
2010 में वे यूएसए की मेजर लीग सॉकर में कैनसस सिटी विजार्ड्स से जुड़े, और विदेशी लीग में खेलने वाले तीसरे भारतीय फुटबॉलर बने।
सुनील छेत्री को 2012 में राष्ट्रीय टीम का कप्तान बनने का सम्मान मिला।
2015 में इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में, मुंबई सिटी एफसी ने उन्हें अपने साथ जोड़ा। 2016 में उन्होंने मुंबई सिटी एफसी को प्लेऑफ में पहुंचाया और इस सीजन में हैट्रिक बनाने वाले पहले भारतीय बने।
'कैप्टन फैंटास्टिक' के नाम से मशहूर सुनील छेत्री ने अपने शानदार करियर में छह बार एआईएफएफ 'प्लेयर ऑफ द ईयर' पुरस्कार जीते।
उन्हें 2011 में 'अर्जुन अवॉर्ड' और 2019 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया। इसके बाद 2021 में उन्हें 'मेजर ध्यान चंद खेल रत्न अवॉर्ड' प्राप्त हुआ।