क्या सुनीता विलियम्स ने नासा में भी हिंदुस्तानी दिल को जिंदा रखा?

सारांश
Key Takeaways
- सुनीता विलियम्स का जन्म अमेरिका में हुआ लेकिन उनका दिल हमेशा भारत के साथ रहा है।
- उन्होंने अपनी यात्रा में भारतीय संस्कृति को अंतरिक्ष में पहुँचाया।
- उनकी अंतरिक्ष यात्रा में कई भारतीय प्रतीक शामिल थे।
- सुनीता विलियम्स ने अपनी उपलब्धियों से न केवल भारत का नाम रोशन किया है, बल्कि अपने साहस का भी परिचय दिया है।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जब भी अंतरिक्ष की दुनिया का उल्लेख होता है, भारत का योगदान हर उस स्थिति में साक्षात दिखाई देता है, जहाँ बड़े-बड़े देशों के लिए पहुँच पाना आज भी एक चुनौती है। नए भारत की उड़ान और इसके सपनों को साकार करने में अंतरिक्ष यात्रियों का महत्वपूर्ण योगदान है। हाल ही में, शुभांशु शुक्ला जैसे नायकों ने भारत का गौरव ऊँचा किया है। इसी कड़ी में, कई ऐसे अंतरिक्ष यात्री हैं जो भले ही भौतिक रूप से दूर हों, लेकिन उनके दिल में हिंदुस्तान बसा है। इनमें सुनीता विलियम्स का नाम खास है, जिनका जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका के ओहायो में हुआ।
सुनीता विलियम्स का जन्म भारत में नहीं हुआ, लेकिन उनके कार्य और विचारों में भारतीय संस्कृति और संस्कारों की झलक मिलती है। अंतरिक्ष की अनंत ऊँचाइयों में भी उन्होंने अपने संस्कारों को संजोकर रखा। एक यादगार घटना उनकी 6 दिसंबर 2006 की अंतरिक्ष यात्रा की है, जब उन्होंने अपने साथ समोसे, भगवद्गीता और उपनिषद लेकर गई थीं।
यह किस्सा उन्होंने 2007 में भारत दौरे के दौरान साझा किया था, जब वे दिल्ली के नेशनल साइंस सेंटर में छात्रों से मिली थीं और अपनी अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव साझा किए थे।
सुनीता विलियम्स की यह पहली यात्रा नहीं थी जब उन्होंने भारतीय संस्कृति को अंतरिक्ष में लेकर गईं। जुलाई 2012 में उनके अगले मिशन के दौरान, उन्होंने अपने साथ ओम का चिन्ह, भगवान शिव की एक पेंटिंग और उपनिषद की कॉपी भी लेकर गईं।
ऐसा कहा जाता है कि यह सब कुछ उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला था, जो भारतीय थे। वे गुजरात के मेहसाणा जिले के झूलासन गांव के निवासी थे, लेकिन पढ़ाई के बाद अमेरिका चले गए और वहीं स्थायी हो गए।
5 जून, 2024 को सुनीता विलियम्स की तीसरी अंतरिक्ष यात्रा थी। इस बार उन्होंने अंतरिक्ष में भगवान गणेश की मूर्ति और गीता लेकर गईं। इस यात्रा से पहले उन्होंने एनडीटीवी को बताया था कि वे भगवान गणेश को अपने लिए लकी मानती हैं।
सुनीता विलियम्स ऐसी वैज्ञानिक हैं जो चुनौतियों से डरती नहीं, बल्कि उन्हें अवसर में बदल देती हैं। इसका उदाहरण उन्होंने हाल ही में पेश किया, जब वे महीनों तक अंतरिक्ष में रहीं। 8 दिन रुकने का कार्यक्रम था, लेकिन उनके स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी आई, जिसके कारण उन्हें लगभग 9 महीने अंतरिक्ष में रहना पड़ा। धरती पर लौटने की प्रतीक्षा के बीच, उन्होंने पौधों को उगाने पर शोध किया। इसके परिणाम स्वरूप, उन्होंने 'प्लांट हैबिटेट-07' परियोजना के तहत शून्य-गुरुत्वाकर्षण में 'रोमेन लेट्यूस' नामक पौधा उगाया।
1998 में नासा की अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयनित सुनीता विलियम्स ने तीन अंतरिक्ष मिशनों में भाग लिया। उनकी उपलब्धि यह भी है कि उन्होंने कुल 62 घंटे और 6 मिनट का स्पेसवॉक किया, जो किसी भी महिला अंतरिक्ष यात्री का सबसे अधिक है और नासा की सर्वकालिक सूची में चौथा स्थान रखता है। विलियम्स ने अपने तीन मिशनों में कुल 608 दिन अंतरिक्ष में बिताए।