क्या सुप्रीम कोर्ट का निर्देश अनाथ बच्चों को शिक्षा का अधिकार देगा?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने अनाथ बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया है।
- अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिलेगी।
- राज्यों को 4 सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी करनी होगी।
- यह निर्णय शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल है।
- सभी राज्यों को सर्वेक्षण कर जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी।
नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी अनाथ बच्चों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत स्कूलों में दाखिला देने का निर्देश दिया है। यह निर्णय वकील पौलोमी पवनी शुक्ला द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए लिया गया, जिसमें अनाथ बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिए जाने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अनाथ बच्चों को भी आरटीई एक्ट के तहत मिलने वाले 25 प्रतिशत आरक्षण कोटे के अंतर्गत निजी स्कूलों में दाखिला और मुफ्त शिक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे अगले चार सप्ताह में अधिसूचना जारी करें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि अनाथ बच्चों को वंचित समूहों की श्रेणी में शामिल किया जाएगा और उन्हें आरटीई एक्ट की धारा 12(1)(सी) के तहत दाखिला मिलेगा।
इसके अलावा, कोर्ट ने सभी राज्यों से कहा कि वे यह सर्वेक्षण कराएं कि वहाँ कितने अनाथ बच्चे हैं और उनमें से कितनों को स्कूलों में दाखिला मिला है। राज्यों को यह जानकारी एकत्र कर कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी।
सुनवाई के दौरान पीठ ने बताया कि दिल्ली, गुजरात, मेघालय, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने पहले ही इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बाकी राज्यों से कहा है कि वे भी इसी तरह 4 सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी करें और इसकी जानकारी कोर्ट को दें।
कोर्ट के इस फैसले से हजारों अनाथ बच्चों को लाभ मिलेगा और उन्हें पढ़ाई का पूरा अवसर मिल सकेगा। यह फैसला शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी सामाजिक पहल मानी जा रही है।