क्या सुप्रीम कोर्ट ने आधार को नागरिकता का प्रमाण माना?

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने आधार को नागरिकता का प्रमाण माना?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं मानने का स्पष्ट संदेश दिया है। राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए, कोर्ट ने कहा कि आधार केवल पहचान पत्र है। क्या यह निर्णय भारतीय राजनीति को प्रभावित करेगा? जानिए पूरी कहानी इस लेख में।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना।
  • आधार सिर्फ पहचान पत्र है, नागरिकता नहीं।
  • राजनीतिक दलों को असली मतदाताओं की मदद करने की सलाह।
  • फर्जी नामांकन की समस्या पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • आधार अधिनियम की धारा 9 के अनुसार, आधार नागरिकता नहीं देता।

नई दिल्ली, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आधार को नागरिकता का प्रमाण पत्र मानने की कोशिशें स्वीकार्य नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को पहचान पत्र के तौर पर देखा जा सकता है, न कि इसे नागरिकता का प्रमाण माना जा सकता है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि आधार पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसे अकेले नागरिकता साबित करने के लिए नहीं माना जा सकता। पीठ ने कहा, “हम आधार की स्थिति को न तो आधार अधिनियम से परे बढ़ा सकते हैं और न ही पुट्टस्वामी मामले के फैसले से आगे ले जा सकते हैं।”

ज्ञात हो कि आधार अधिनियम की धारा 9 में स्पष्ट प्रावधान है कि आधार न तो नागरिकता देता है और न ही निवास का अधिकार। साथ ही, 2018 के पुट्टस्वामी केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार नागरिकता का सबूत नहीं है।

वास्तव में, बिहार की मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाए जाने के बाद राजद समेत कुछ दलों ने आधार को मतदाता पंजीकरण के लिए अंतिम प्रमाण बनाने की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा, “आधार पर इतना जोर क्यों?”

चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि बिहार के कई जिलों में आधार सैचुरेशन 140 प्रतिशत से अधिक है, जो बड़े पैमाने पर फर्जी नामांकन को दर्शाता है। केंद्र सरकार ने भी जानकारी दी कि कई राज्यों में बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या शरणार्थियों ने धोखाधड़ी से आधार कार्ड हासिल कर लिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को सलाह दी कि वे असली मतदाताओं की मदद के लिए जमीनी स्तर पर काम करें और बूथ लेवल एजेंटों के जरिए दावे-आपत्तियां दाखिल करवाएं, बजाय इसके कि शॉर्टकट ढूंढकर मतदाता सूची को कमजोर करें।

अदालत का स्पष्ट संदेश है कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है। फर्जी मतदाताओं को भारतीय लोकतंत्र को कमजोर करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

Point of View

बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए भी एक मजबूत संदेश है। राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे फर्जी मतदाता पहचानने के बजाय असली मतदाताओं की सेवा में जुटें।
NationPress
02/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या आधार नागरिकता का प्रमाण है?
नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला किसके खिलाफ था?
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को आधार को नागरिकता का प्रमाण मानने की कोशिशों के खिलाफ फटकार लगाई।
आधार अधिनियम की धारा 9 का क्या प्रावधान है?
आधार अधिनियम की धारा 9 में यह स्पष्ट किया गया है कि आधार न तो नागरिकता देता है और न ही निवास का अधिकार।
क्या आधार कार्ड पहचान पत्र के रूप में मान्य है?
जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को क्या सलाह दी?
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को सलाह दी कि वे असली मतदाताओं की मदद के लिए जमीनी स्तर पर काम करें।