क्या सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों पर रोक लगाने से मना कर दिया?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 15 साल पुराने वाहनों पर दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई है।
- दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध की समीक्षा की मांग की थी।
- न्यायालय ने केंद्र सरकार से 4 हफ्तों के भीतर जवाब माँगा है।
- वाहनों की उम्र के बजाय उत्सर्जन और फिटनेस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- बीएस-6 वाहन कम प्रदूषण फैलाते हैं।
नई दिल्ली, १२ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने १० से १५ साल पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों के मालिकों के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न करने का आदेश दिया है।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की पीठ ने यह आदेश तब दिया जब दिल्ली सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कोई दंडात्मक कदम न उठाने की अपील की।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर ४ हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है। तब तक १० से १५ साल पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। कोर्ट ने इस विषय को स्पष्ट कर दिया है।
दिल्ली सरकार ने २६ जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर १० साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और १५ साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा करने की मांग की थी। उनका कहना है कि मौजूदा नीति से मध्यम वर्ग पर अत्यधिक दबाव आ रहा है।
दिल्ली सरकार ने उस नियम पर पुनर्विचार की मांग की थी, जिसमें पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया कि वह केंद्र सरकार या वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन करने का निर्देश दे, ताकि वाहनों की उम्र के आधार पर लगाए गए प्रतिबंध का वास्तविक पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन किया जा सके।
याचिका में यह भी कहा गया कि सभी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध के असर और निष्पक्षता की फिर से जांच होनी चाहिए। सरकार एक अधिक सटीक, उत्सर्जन-आधारित नियामक ढांचे की वकालत कर रही है, जो वाहन की उम्र के बजाय उससे होने वाले वायु प्रदूषण और गाड़ी की फिटनेस को ध्यान में रखे।
दिल्ली सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि बीएस-६ वाहन, बीएस-४ वाहनों की तुलना में काफी कम प्रदूषण फैलाते हैं।