क्या सुप्रीम कोर्ट का फैसला पुराने डीजल-पेट्रोल वाहनों के लिए राहतकारी है? : मनजिंदर सिंह सिरसा

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया।
- दिल्ली सरकार ने याचिका दायर कर वाहन के जीवनकाल की नई परिभाषा दी।
- मध्यम वर्ग पर मौजूदा नीति का अनुचित दबाव है।
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 4 हफ्तों में जवाब मांगा है।
- यह निर्णय वाहन मालिकों के लिए बड़ी राहत है।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों पर किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न करने का आदेश दिया है। इस आदेश का दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने स्वागत किया है।
उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा कि दिल्ली-एनसीआर के नागरिकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण राहत है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह दलील दी थी कि किसी वाहन का 'जीवनकाल' उसकी उम्र से नहीं, बल्कि उसके द्वारा उत्पन्न प्रदूषण और चलने की संख्या से निर्धारित होना चाहिए। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्लीवासियों की ओर से यह लड़ाई लड़ी। हमें उम्मीद है कि भविष्य में हम दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को स्थायी राहत दिला सकेंगे।
उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि हमारी याचिका के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई न करने का निर्देश देकर लाखों वाहन मालिकों को राहत प्रदान की है। यह निर्णय उन सभी लोगों के लिए बड़ी जीत है, जिनके वाहन अब भी उचित स्थिति में हैं और सड़क पर चलने योग्य हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस संवेदनशील फैसले के लिए धन्यवाद, और दिल्लीवासियों को हार्दिक बधाई। आपकी आवाज अदालत तक पहुंचाना और आपको राहत दिलाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
असल में, 26 जुलाई को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में चल रहे 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा करने की मांग की थी। दिल्ली सरकार का तर्क था कि मौजूदा नीति से मध्यम वर्ग पर अनुचित दबाव पड़ रहा है।
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है। तब तक के लिए 10 से 15 साल पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों के मालिकों पर कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है।