क्या सुप्रीम कोर्ट जहरीले इंजेक्शन के विकल्प पर विचार करेगा?

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क्या सुप्रीम कोर्ट जहरीले इंजेक्शन के विकल्प पर विचार करेगा?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड के लिए फांसी की जगह जहरीले इंजेक्शन जैसे विकल्पों पर विचार करने की मांग को लेकर केंद्र की अनिच्छा पर कड़ी टिप्पणी की। क्या यह बदलाव संभव है? जानें इस महत्वपूर्ण सुनवाई के बारे में।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने नए मृत्युदंड विकल्पों पर विचार करने की आवश्यकता जताई है।
  • केंद्र सरकार की अनिच्छा पर कोर्ट ने नाराजगी जताई।
  • फांसी की जगह जहरीले इंजेक्शन को एक विकल्प बताया गया।
  • अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।
  • सम्मानजनक मृत्यु का अधिकार संविधान में मान्यता प्राप्त है।

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड के लिए फांसी की सजा की जगह जहरीले इंजेक्शन जैसे वैकल्पिक तरीकों पर विचार करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की अनिच्छा पर कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि सरकार समय के साथ बदलाव के लिए तैयार नहीं दिख रही है। मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।

सुनवाई के दौरान सुझाव दिया गया कि दोषी को फांसी या जहरीले इंजेक्शन में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जा सकता है। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से वकील सोनिया माथुर ने दलील दी कि ऐसा करना 'व्यवहारिक रूप से संभव नहीं' है और यह मामला नीतिगत निर्णय से जुड़ा है। केंद्र ने अपने हलफनामे में वैकल्पिक तरीकों को अपनाने से इनकार किया, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह एक पुरानी प्रक्रिया है और समय के साथ चीजें बदल गई हैं।

याचिका वकील ऋषि मल्होत्रा ने दायर की है, जिसमें फांसी को अत्यधिक पीड़ादायक, अमानवीय और क्रूर बताते हुए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 354(5) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई। याचिका में तर्क दिया गया कि फांसी की प्रक्रिया में दोषी की मृत्यु घोषित होने में लगभग 40 मिनट लगते हैं, जबकि जहरीले इंजेक्शन या शूटिंग जैसे तरीकों से यह प्रक्रिया 5 मिनट में पूरी हो सकती है। याचिका में यह भी मांग की गई कि सम्मानजनक मृत्यु का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त हो।

याचिका में संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव का भी हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया है कि मृत्युदंड को यथासंभव कम पीड़ा पहुंचाने वाले तरीके से लागू करना चाहिए। याचिकाकर्ता ने जहरीले इंजेक्शन, शूटिंग, इलेक्ट्रोक्यूशन या गैस चैंबर जैसे विकल्पों का सुझाव दिया, जो दोषी की मृत्यु को कम दर्दनाक और त्वरित बना सकते हैं।

हालांकि, केंद्र सरकार के हलफनामे में कहा गया कि ऐसा करना 'व्यवहारिक रूप से संभव नहीं' है।

Point of View

यह देखना आवश्यक है कि क्या मृत्युदंड के तरीके में बदलाव करना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम हमें विचार करने पर मजबूर करता है कि क्या हम मानवता की दृष्टि से अधिक सहानुभूति और करुणा दिखा सकते हैं।
NationPress
16/10/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने किस मुद्दे पर सुनवाई की?
सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड के लिए फांसी की जगह जहरीले इंजेक्शन जैसे वैकल्पिक तरीकों पर विचार करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की।
केंद्र सरकार ने किस पर प्रतिक्रिया दी?
केंद्र सरकार ने कहा कि वैकल्पिक तरीकों को अपनाना 'व्यवहारिक रूप से संभव नहीं' है।
अगली सुनवाई कब होगी?
मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।
याचिका में क्या मांग की गई है?
याचिका में फांसी को अमानवीय बताते हुए इसे असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है।
संविधान का कौन सा अनुच्छेद इस मामले में महत्वपूर्ण है?
सम्मानजनक मृत्यु का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है।