क्या देशभर में ग्रैप जैसी नीति की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार?
सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इनकार।
- याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट या एनजीटी का रुख करने को कहा गया।
- उपकरणों के आधार पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता।
- वायु गुणवत्ता मुद्दों पर नियमित सुनवाई का आश्वासन दिया गया।
- प्रदूषण के अन्य कारणों पर नियंत्रण के लिए रिपोर्ट मांगी गई।
नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली के ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के समान नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई से इनकार कर दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि यह मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट के सामने आने योग्य नहीं है, अतः याचिकाकर्ता अपनी मांग हाईकोर्ट या नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के समक्ष प्रस्तुत करें।
याचिका में उल्लेख किया गया था कि जब भी किसी शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 200 या उससे अधिक हो, तो ग्रैप की तरह एक तात्कालिक कार्य योजना लागू की जानी चाहिए। इसके साथ ही, देशभर में और अधिक प्रदूषण निगरानी स्टेशन स्थापित करने की भी मांग की गई थी।
इससे पहले, 1 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया था। सीजेआई सूर्यकांत ने कहा था कि वायु प्रदूषण का मुद्दा अब केवल अक्टूबर में नहीं, बल्कि पूरे वर्ष नियमित रूप से सुना जाएगा। अदालत ने निर्देश दिया था कि महीने में कम से कम दो बार इस पर सुनवाई हो ताकि स्थिति को सुधारने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाए जा सकें।
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने देश की वायु गुणवत्ता और वैज्ञानिक विश्लेषण पर प्रश्न उठाया। उन्होंने पूछा कि देश में प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है? पराली के मुद्दे पर भी उन्होंने कहा कि वे इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं क्योंकि किसानों का प्रतिनिधित्व अदालत में बहुत कम होता है।
सीजेआई ने याद दिलाया कि कोविड काल के दौरान भी पराली जलाई गई थी, लेकिन उस समय लोगों ने साफ, नीला आसमान देखा था। इसलिए पराली को राजनीतिक बहस का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।
सुनवाई में सीजेआई ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) से पूछा कि दिल्ली-एनसीआर की हवा को तुरंत सुधारने के लिए उनका शॉर्ट-टर्म प्लान क्या है। सीएक्यूएम ने उत्तर दिया कि वे पहले ही अपना हलफनामा प्रस्तुत कर चुके हैं।
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी ने कहा कि हरियाणा, पंजाब, सीपीसीबी और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) प्रस्तुत कर सकती है।
सीजेआई ने कहा कि अदालत का उद्देश्य आरोप लगाना नहीं, बल्कि समाधान खोजना है। उन्होंने कहा कि हम निष्क्रिय नहीं रह सकते और सभी संबंधित पक्षों को एक मंच पर लाकर मिलकर समाधान निकालने की आवश्यकता है।
अदालत ने सीएक्यूएम को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर ऐसी रिपोर्ट प्रस्तुत करे जिसमें पराली जलाने के अलावा प्रदूषण के अन्य कारणों को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए ठोस और प्रभावी कदमों की पूरी जानकारी हो।